झारखंड ने परामर्श हेतु पेसा मसौदा नियम जारी

झारखंड ने परामर्श हेतु पेसा मसौदा नियम जारी

हाल ही में झारखंड सरकार ने सार्वजनिक परामर्श के लिए पंचायत प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम (PESA Act) के मसौदा नियम जारी किए हैं।

‘PESA Act’ के मसौदे पर चर्चा के बाद झारखंड में यह अधिनियम लागू किया जा सकता है।

PESA अधिनियम के मसौदा नियम अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को निम्न अधिकार प्रदान करते हैं-

  • यह उनके पारंपरिक और पारिवारिक विवादों को हल करने का अधिकार प्रदान करता है,
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अंतर्गत विशेष मामलों की सुनवाई करना और संविधान के सिद्धांतों के अनुसार शांति और व्यवस्था बनाए रखना।

पेसा अधिनियम के बारे में :

  • PESA अधिनियम को वर्ष 1996 में “पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए” अधिनियमित किया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 243-243ZT, में नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। यह अनुच्छेद संविधान के भाग IX में दिए गए हैं।
  • इस अधिनियम के तहत, अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जो अनुच्छेद 244(1) में संदर्भित हैं। यह अधिनियम कहता है कि पांचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।
  • इसका उद्देश्य पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX का कुछ संशोधनों और छूटों के साथ पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों तक विस्तार करना है।
  • PESA अधिनियम के तहत इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार राज्य विधान-मंडल को दिया गया है। वर्तमान में 10 राज्यों में पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र हैं। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना ।
  • इन दस राज्यों में से केवल आठ राज्यों (झारखंड और ओडिशा को छोड़कर) ने ही राज्य पंचायती राज अधिनियमों के तहत राज्य पेसा नियम बनाए हैं तथा अधिसूचित किए हैं।

PESA अधिनियम की मुख्य विशेषताएं:

  • यह जनजातीय समुदायों को उनकी स्वयं की स्वशासन प्रणालियों के माध्यम से शासन चलाने का अधिकार देता है। साथ ही, इसमें प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को भी मान्यता दी गई है।
  • इसके तहत ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंजूरी देने तथा सभी सामाजिक क्षेत्रकों और स्थानीय योजनाओं को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की गई है।
  • यह ग्राम सभाओं को कुछ विशेष शक्तियां प्रदान करता है जैसे- कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करना, भूमि अधिग्रहण के मामलों में अनिवार्य परामर्श करना, लघु जल निकायों के प्रबंधन व गौण वनोपज के स्वामित्व की शक्ति आदि ।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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