पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फण्ड
देश में डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले व्यापारियों की संख्या को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान अवसंरचना विकास कोष (पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फण्ड – पीआईडीएफ) योजना के परिचालन की घोषणा की है।
लाभ :
इसका उद्देश्य, देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ टियर-3 एवं टियर-4 में भुगतान स्वीकृति अवसंरचना का विकास करना है। इसके तहत डिजिटल तथा हस्तचालित ‘पॉइंट ऑफ सेल’ से संबंधित अवसंरचना के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
पीआईडी कोष का कार्यान्वयन :
- वर्तमान में पीआईडी कोष की कुल निधि 345 करोड़ रुपए है। प्रारंभ में, भारतीय रिज़र्व बैंक इस कोष में 250 करोड़ का अंशदान करेगा, शेष धनराशि कार्ड निर्गत करने वाले बैंक तथा अधिकृत कार्ड नेटवर्क उपलब्ध कराएंगे।
- इस कोष का संचालन 1 जनवरी, 2021 से तीन वर्षों की अवधि के लिये किया जाएगा।आवश्यकता पड़ने पर इसे दो वर्षों के लिये और बढ़ाया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त, पीआईडीएफ को कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाले बैंकों से वार्षिक योगदान भी प्राप्त होगा।
- पीआईडीएफ के प्रबंधन के लिये एक सलाहकार परिषद् का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बी.पी. कानूनगो करेंगे। यह परिषद मूल रूप से फंड्स का संचालन करेगी।
- इसके अंतर्गत ऐसे व्यापारियों को लक्षित किया जाएगा, जिन्हें अभी तक टर्मिनलाइज़ नहीं किया जा सका है, अर्थात् जिनके पास भुगतान स्वीकृति हेतु कोई उपकरण उपलब्ध नहीं है।
- इसमें मुख्य रूप से उन व्यापारियों को शामिल किया जाएगा जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों, स्वास्थ्य सेवा एवं किराने की दुकानों, सरकारी भुगतान तथा परिवहन व आतिथ्य जैसी सेवाओं में संलग्न हैं।
- इसके तहत विविध भुगतान उपकरण तथा कार्ड भुगतान जैसे पीओएस, मोबाइल पीओएस, जनरल पैकेट रेडियो सर्विस पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क तथा क्यूआर कोड आधारित उपकरण वित्तपोषित होंगे।
- इसमें सब्सिडी का प्रावधान भी है जिसके तहत भौतिक रूप से स्थापित पीओएस मशीनों की लागत का 30% से 50% और डिजिटल पीओएस मशीनों के लिये 50% से 75% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह सब्सिडी अर्द्धवार्षिक आधार पर प्रदान की जाएगी।
- आरबीआई भारतीय नेटवर्क बैंक एसोसिएशन (IBA) तथा पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के सहयोग से तय लक्ष्यों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। साथ ही, अधिग्रहणकर्ता आरबीआई को लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में तिमाही आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
स्रोत – द हिन्दू