पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण 2025 तक 20% तक बढ़ाया जाएगा

पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण 2025 तक 20% तक बढ़ाया जाएगा

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 में संशोधनों को मंजूरी दी है। इन संशोधनों के द्वारा पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को वर्ष 2030 की जगह अब वर्ष 2025 तक प्राप्त किया जायेगा।

भारत में मई 2022 तक पेट्रोल में 9.90% इथेनॉल मिश्रण की उपलब्धि हासिल की जा चुकी है। वित्तीय वर्ष 2022 के अंत तक इसके 10% तक पहुंचने का अनुमान है।

इथेनॉलमिश्रित पेट्रोल के बारे में:

  • इथेनॉल एक कार्बनिक यौगिक एथिल अल्कोहल है। गैसोलीन की तुलना में इसका ऑक्टेन नंबर अधिक है। इसलिए यह पेट्रोल के ऑक्टेन नंबर में सुधार करता है।
  • चूंकि इथेनॉल में ऑक्सीजन होता है, इसलिए यह ईंधन के पूर्ण दहन में मदद करता है। इससे कम उत्सर्जन होता है।

लक्ष्य प्राप्ति अवधि कम किए जाने से लाभः

  • प्रति वर्ष 30,000 करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा की बचत होगी,
  • ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि होगी,
  • कम कार्बन का उत्सर्जन होगा,
  • खराब हो चुके खाद्यान्नों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा,
  • किसानों की आय में वृद्धि होगी आदि।

मुख्य चिंताएं

  • पेट्रोल में 10% इथेनॉल के मिश्रण के लिए वाहनों के इंजनों में बड़े बदलाव की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन 20% मिश्रण के लिए कुछ बदलावों की आवश्यकता हो सकती है। इससे वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
  • लक्ष्य प्राप्ति के लिए अधिक जल की मात्रा की आवश्यकता वाली फसलों (जैसे गन्ना) लिए अत्यधिक भूमि की जरूरत होगी। ऐसे में उत्सर्जन में वास्तविक कमी का लाभ कम हो सकता है।

राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018

  • इसे वर्ष 2018 में जारी किया गया था। इसका उद्देश्य ईंधन मिश्रण को प्रोत्साहित करके आयात पर निर्भरता को कम करना है।
  • इसमें बायोएथेनॉल, बायोडीजल और बायो सी.एन.जी. (CNG) पर बल दिया गया है।

इस नीति के प्रमुख भाग इस प्रकार हैं:

  • इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EPB),
  • दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल का उत्पादन (वन और कृषि अपशिष्टों से प्राप्त),
  • ईंधन में मिश्रित किये जाने वाले उत्पादों के उत्पादन की क्षमता बढ़ाना,
  • इथेनॉल उत्पादन के लिए प्रारंभिक सामग्री के रूप में इस्तेमाल कच्चे माल(फीडस्टॉक) में अनुसंधान एवं विकास,
  • इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन ।
  • यह नीति इथेनॉल उत्पादन के लिए अधिशेष चावल या क्षतिग्रस्त खाद्यान्नों को कच्चे माल के रूप में उपयोग करने की अनुमति भी देती है।

स्रोत –द हिन्दू

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