पृथ्वी का आंतरिक कोर

पृथ्वी का आंतरिक कोर 

हाल ही में नए शोध के अनुसार, पृथ्वी के आंतरिक क्रोड ने अपनी सतह की तुलना में तेज़ी से घूमना बंद कर दिया है, अर्थात् यह अब धीमी गति से घूम रहा है।

निष्कर्ष के प्रमुख बिंदु:

जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित नए शोध अध्ययन में पिछले छह दशकों में बार-बार आने वाले भूकंपों से भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया है।

इन संकेतों के समय और प्रसार में परिवर्तन का विश्लेषण करके वे आंतरिक क्रोड के घूर्णन का अनुमान लगा सकते हैं, जिसके बारे में माना जाता है कि यह मैंटल तथा शेष ग्रहों की तुलना में स्वतंत्र रूप से घूमता है।

निष्कर्षः

1970 के दशक की शुरुआत से आंतरिक कोर पृथ्वी के शेष हिस्सों की तुलना में तेजी से घूर्णन करने लगा था।

हालांकि, वर्ष 2009 के आस-पास पृथ्वी के घूर्णन के साथ समकालिक (sync) होने से पहले यह धीमा हो गया था ।

तब से एक नकारात्मक प्रवृत्ति रही है अर्थात् आंतरिक कोर अब सतह की तुलना में धीमी गति से घूर्णन कर रहा है।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगला परिवर्तन 2040 के दशक के मध्य में होगा ।

परिणामों से प्रतीत होता है कि पृथ्वी का आंतरिक क्रोड औसतन प्रत्येक 60-70 वर्षों में अपनी घूर्णन गति को बदलता है।

महत्त्व:

यह अध्ययन कुछ शोधकर्त्ताओं को ऐसे मॉडल बनाने और परीक्षण करने के लिये प्रेरित कर सकता है जो संपूर्ण पृथ्वी को एक एकीकृत गतिशील प्रणाली के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं।

आंतरिक क्रोड की धीमी गति, ग्रहों की घूर्णन गति साथ ही कोर कैसे विकसित होता है, को प्रभावित कर सकती है।

पृथ्वी का आंतरिक क्रोड:

यह पृथ्वी की सबसे आतंरिक परत है। यह प्लूटो के आकार का गर्म लोहे का गोला है।

पृथ्वी की अन्य शीर्ष परतों द्वारा उस पर आरोपित भार के दबाव के कारण आंतरिक क्रोड ठोस है।

यह बाहरी कोर से अलग है, जो कि तरल है।

हम जिस सतह पर रहते हैं, उससे लगभग 5,000 किलोमीटर (3,100 मील) नीचे, आंतरिक क्रोड स्वतंत्र रूप से घूम सकता है क्योंकि यहाँ तरल धातु बाहरी क्रोड में तैरती रहती है।

रेडियस (दायरा):

आंतरिक क्रोड की औसत त्रिज्या 1220 किमी. है।

भीतरी और बाहरी क्रोड के बीच की सीमा पृथ्वी की सतह से लगभग 5150 किमी. नीचे स्थित है।

इस सीमा को लेहमन भूकंपीय विच्छिन्नता (Lehman Seismic Discontinuity) कहा जाता है।

पृथ्वी की तीन परतें:

क्रस्ट: यह पृथ्वी की बाहरी परत है और ठोस चट्टान ज़्यादातर बेसाल्ट और ग्रेनाइट से बनी है।

मेंटल: यह क्रस्ट के नीचे स्थित है और 2900 किमी. तक मोटा है। इसमें गर्म, घने, लौह एवं मैग्नीशियम युक्त ठोस चट्टान शामिल हैं।

क्रोड: यह पृथ्वी का केंद्र है और दो भागों तरल बाहरी क्रोड और ठोस आंतरिक क्रोड से बना है। बाहरी क्रोड निकल, लोहा और पिघली हुई चट्टान से बना है।

स्रोत – द हिन्दू

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