दिल्ली के पुराना किला स्थल पर नए उत्खनन से पूर्व-मौर्य काल के साक्ष्य मिले
हाल ही में दिल्ली के पुराना किला स्थल पर नए उत्खनन से पूर्व – मौर्य काल के साक्ष्य मिले हैं ,पुराना किला में जारी उत्खनन का उद्देश्य इस स्थल का पूर्ण ऐतिहासिक कालक्रम स्थापित करना है ।
हाल ही में दिल्ली के पुराना किला स्थल पर नए उत्खनन से पूर्व – मौर्य काल के साक्ष्य मिले हैं। पुराना किला में जारी उत्खनन का उद्देश्य इस स्थल का पूर्ण ऐतिहासिक कालक्रम स्थापित करना है।
अब तक के उत्खनन से प्राप्त प्रमुख पुरावशेष हैं:
- भगवान बैकुंठ विष्णु की पत्थर की मूर्ति, गज लक्ष्मी की एक टेराकोटा पट्टिका, भगवान गणेश की पत्थर की मूर्ति, मनुष्यों और जानवरों की टेराकोटा की मूर्तियां, अलग-अलग पत्थरों के मोती, हड्डी से निर्मित सुई आदि ।
- इससे पहले की खुदाई से 2500 वर्षों तक मानव बस्ती और उनकी गतिविधियों की निरंतरता के साक्ष्य मिले थे।
- अब तक की खुदाई में पुराना किला से नौ सांस्कृतिक स्तरों का पता चला है। ये स्तर अलग–अलग ऐतिहासिक कालों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इनमें पूर्व – मौर्य, मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, उत्तर- गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल काल शामिल हैं।
- पुराना किला का निर्माण 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह हुमायूं ने अपने नए शहर दीनपनाह के हिस्से के रूप में करवाया था।
- पुरातत्व के अलावा अबुल फ़ज़ल ( 16वीं शताब्दी) के आइन-ए-अकबरी जैसे साहित्यिक स्रोत में भी इस तथ्य का उल्लेख है कि इस किले का निर्माण इंद्रप्रस्थ नामक स्थान पर हुआ था।
पुराना किला परिसर की स्थापत्य संबंधी विशेषताएं:
- किला-ए- कुहना मस्जिद: इसे शेरशाह ने बनवाया था। यह लोधियों और मुगलों की स्थापत्य कला के बीच की संक्रमणकालीन अवस्था को दर्शाती है।
- शेर मंडल: इसे शेरशाह ने बनवाया था। यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित एक अष्टकोणीय संरचना है। इसे सफेद और काले संगमरमर की पच्चीकारी से सजाया गया है। हुमायूँ ने इसे एक पुस्तकालय बना दिया था। इसी इमारत की सीढ़ियों से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई थी।
- अन्य संरचनाएं: जल आपूर्ति के प्रबंधन के लिए एक बावली और एक हमाम (स्नानघर ) भी मौजूद हैं। लाल दरवाजा और खैरूल मंजिल भी इसी परिसर का हिस्सा माने जाते हैं। इसके तीन राजसी द्वार हैं: बड़ा दरवाजा, हुमायूं दरवाजा और तालाकी दरवाजा । यमुना नदी से जुड़ी एक चौड़ी खंदक भी बनी हुई है।
स्रोत – डाउन टू अर्थ