पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective Tax) व्यवस्था की समाप्ति

पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective Tax) व्यवस्था की समाप्ति

हाल ही में भारत सरकार ने पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective Tax) से संबंधित अव्यवस्था को समाप्त करने के लिए नए नियम अधिसूचित किए हैं।

सरकार ने अगस्त, 2021 में 28 मई, 2012 से पूर्व हुए लेनदेनों के लिए पूर्वव्यापी कर संबंधी मांगों को वापस लेने हेतु आयकर अधिनियम, 1961 में संशोधन किया था।

नए आयकर (31वां संशोधन) नियम, 2021 प्रभावित करदाताओं द्वारा अपने पूर्वव्यापी कर मामलों के निराकरण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को निर्दिष्ट करते हैं।

साथ ही, किसी भी न्यायाधिकरण/न्यायालय के समक्ष लंबित मुकदमे या कार्यवाही को वापस लेना होगा। सरकार द्वारा इन मामलों में उठाई गई मांगों या दावों को निरस्त कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, कंपनियों द्वारा नियमों में निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने के उपरांत उनसे एकत्र की गई राशि को उन्हें वापस कर दिया जाएगा।

पूर्वव्यापी कराधान किसी देश को कुछ उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं और सौदों पर कर आरोपित करनेके लिए नियम पारित करने की अनुमति प्रदान करता है। इसमें कानून पारित होने की तिथि से पूर्व के समय से कंपनियों पर करारोपण किया जाता है।

इसे वर्ष 2012 में प्रस्तुत किया गया था। यह भारत में स्थित परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से सृजित होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर की मांग में वृद्धि के लिए आयकर विभाग को सशक्त बनाता है।

इस कराधान विधि का वोडाफोन, केयर्न एनर्जी, वेस्टग्लोब, रिसेट होल्डिंग्स आदि कंपनियों से संबंधित 17 मामलों में उपयोग किया गया था।

स्रोत – द हिन्दू

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