राज्यों को 60,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय (Capex) को मंजूरी
- हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों को 60,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय (Capex) को मंजूरी दी है।
- यह राज्यों के लिए दीर्घावधि पूंजीगत व्यय निधि है। इसे “वर्ष 2022-23 के लिए पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना के अंतर्गत जारी किया गया है।
- यह ‘पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना का संशोधित रूप है। यह योजना कोविड – 19 महामारी के बाद वर्ष 2020-21 में शुरू की गई थी।
संशोधित योजना की मुख्य विशेषताएं
- वर्ष 2022-23 के लिए 1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
- उपर्युक्त राशि में से 80,000 करोड़ रुपये 15वें वित्त आयोग के फार्मूले पर आधारित है। शेष 20,000 करोड़ रुपये सुधार के लिए उठाए गए कदमों से संबद्ध है।
- यह राशि 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में सहायता के तौर पर दी जा रही है। यह राज्यों के लिए अनुमोदित की गई सामान्य उधार सीमा के अतिरिक्त है ।
योजना के 7 भाग हैं:
- पूंजीगत कार्यों के लिए (पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान को प्राथमिकता मिलेगी); पीएम गति शक्ति से संबंधित व्यय; प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना; डिजिटलीकरण के लिए प्रोत्साहन; ऑप्टिकल फाइबर केबल; शहरी सुधार; विनिवेश और मुद्रीकरण।
- प्रदान की गई धनराशि का नई और पहले से चल रही पूंजीगत परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा।
- 5 करोड़ रुपये (पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 2 करोड़ रुपये) से कम परिव्यय वाली परियोजनाएं तथा मरम्मत और रखरखाव वाली परियोजनाएं इस योजना में शामिल नहीं की जाएंगी।
- पूंजीगत व्यय से आशय दीर्घावधि के लिए परिसंपत्ति के निर्माण हेतु निवेश या विकास खर्च के रूप में सरकारी धन के परिव्यय से है।
- इसमें ऋण की अदायगी भी शामिल क्योंकि यह सरकार की देनदारी को कम करता है।
पूंजीगत व्यय का महत्वः
- यह राजस्व पैदा करता है, यह अर्थव्यवस्था में मांग उत्पन्न करता है, यह निजी निवेश आकर्षित करता है, यह आर्थिक संवृद्धि को बनाए रखता है आदि ।
स्रोत – द हिन्दू