अमेरिका के नेतृत्व में ‘पार्टनर्स इन द ब्लू पैसिफिक’ (PBP) पहल आरंभ
हाल ही में चीन को प्रतिसंतुलित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में ‘पार्टनर्स इन द ब्लू पैसिफिक’ (PBP) पहल आरंभ की गयी है ।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और जापान ने इस पहल की घोषणा की है। इस पहल को प्रशांत महासागर के द्वीपीय देशों में चीन की आक्रामक पहुंच के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा सकता है ।
इससे पहले, चीन ने ‘कॉमन डेवलपमेंट विजन’ नामक एक प्रारूप समझौता जारी किया था। इसमें चीन ने यह मंशा प्रकट की है कि वह प्रशांत देशों के साथ कानून लागू करने में सहयोग का विस्तार करना चाहता है।
पार्टनर्स इन द ब्लू पैसिफिक (PBP) के बारे में:
- यह पांच देशों का एक अनौपचारिक तंत्र है। यह प्रशांत द्वीपीय देशों का समर्थन करने और क्षेत्र में राजनयिक व आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- इसका उद्देश्य निकट सहयोग के माध्यम से प्रशांत क्षेत्र में “समृद्धि, लचीलापन और सुरक्षा” को बढ़ाना है।
- यह प्रशांत क्षेत्रवाद को आगे ले जायेगा, और प्रशांत द्वीपसमूह मंच के साथ मजबूत संबंध स्थापित करेगा।
- इसके सहयोग के क्षेत्रों में जलवायु संकट, कनेक्टिविटी और परिवहन, समुद्री सुरक्षा आदि शामिल हैं।
हिंद प्रशांत का सामरिक महत्वः
- यह विश्व के भू-क्षेत्र का 44% है। यहां विश्व की 65% जनसंख्या निवास करती है।
- इन देशों की वैश्विक-जीडीपी में 62% और विश्व के वस्तु व्यापार में 46% हिस्सेदारी है।
- इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश (चीन) तथा सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र (भारत) स्थित है।
- अमेरिका ने लंबे समय से इस क्षेत्र में अपनी हब-एंड-स्पोक प्रणाली के साथ शक्ति संतुलन बनाए रखा है। इस प्रणाली के तहत जहां अमेरिका हब है, वहीं उसके सहयोगी स्पोक हैं। इनकी सुरक्षा की गारंटी अमेरिकी सैन्य शक्ति द्वारा दी जाती है।
स्रोत –द हिन्दू