पार्कर सोलर प्रोब मिशन ने पहली बार सौर वायुमंडल में प्रवेश
हाल ही में नासा के पार्कर सोलर प्रोब मिशन ने पहली बार सौर वायुमंडल में प्रवेश किया है ।
वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया पार्कर पहला अंतरिक्ष यान है, जो सूर्य के ऊपरी वायुमंडल या कोरोना क्षेत्र से होकर गुजरा है।
ऐसा माना जाता है कि पार्कर ने आल्फवेन की महत्वपूर्ण सतह को पार कर लिया है। आल्फवेन एक ऐसा बिंदु है, जो सौर वायुमंडल के अंत और सौर पवन के आरंभ का सूचक है।
- यह मिशन नासा के ‘लिविंग विद ए स्टार’ प्रोग्राम का भाग है। इसका नाम एक भौतिक विज्ञानी यूजीनन्यूमैन पार्कर के नाम पर रखा गया है। इन्होंने यह अवधारणा प्रस्तावित की थी कि तारे ऊर्जा कैसे निर्मुक्त करते हैं।
- इसका उद्देश्य यह पता करना है कि सौर कोरोना के माध्यम से ऊर्जा और ऊष्मा कैसे संचरण करती है। साथ ही, यह इसका भी अन्वेषण करेगा कि सौर पवन के साथ-साथ सौर ऊर्जावान कणों को गति कैसे प्राप्त होती है।
- इसमें चुंबकीय क्षेत्र, प्लाज्मा और ऊर्जावान कणों का अध्ययन करने तथा सौर पवनों की छवि बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए चार उपकरणों का एक समूह है।
- यह अपने फ्लाईबाई (उड़ान) के लिए शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग कर रहा है। यह सूर्य की सतह से 8मिलियनमील दूरी तय पहुंचने हेतु वर्ष 2025 तक अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच जाएगा
- यह सूर्य की ऊष्मा से स्वयं को बचाने हेतु लगभग 2,500 फारेनहाइट (1,377 डिग्री सेल्सियस) तापमान का सामना करने के लिए कार्बन-कंपोजिट शील्ड काउपयोग करता है।
कुछ अन्य सौर मिशनः यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का सोलर ऑर्बिटर, भारत का आदित्य-एल1 मिशन आदि।
मिशन का महत्वः
- सूर्य के विकास में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करने और सूर्य के कोरोना के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करेगा।
- सौर पवनों की उत्पत्ति और विकास तथा सौर मंडल पर इसके प्रभावों के बारे में हमारे ज्ञान का विस्तार करेगा। ब्रह्मांड के अन्य तारों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
- प्रमुख अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं या सौर विस्फोटों के पूर्वानुमान में सुधार करने में सहायता प्रदान करेगा।
स्रोत – द हिन्दू