पारिस्थितिकी पर्यटन व नदी डॉल्फिन के लिए दिशा निर्देश जारी
हाल ही में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पारिस्थितिकी पर्यटन व नदी डॉल्फिन के लिए दिशा निर्देश जारी किये हैं।
पारिस्थितिकी पर्यटन हेतु दिशा निर्देश
- ये दिशा-निर्देश वन, वन्यजीव क्षेत्रों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में संधारणीय पारिस्थितिकी पर्यटन के लिए लागू होंगे।
- पारिस्थितिकी पर्यटन (Ecotourism) से तात्पर्य प्राकृतिक क्षेत्रों की जिम्मेदारी पूर्ण यात्रा से है। इसमें पर्यावरण का संरक्षण तथा स्थानीय समुदायों का सामाजिक और आर्थिक कल्याण सुनिश्चित किया जाता है। इसमें ज्ञान एवं समझ विकसित करने के प्रयास भी शामिल हैं।
- ये दिशा-निर्देश पारिस्थितिक पर्यटन स्थलों की पहचान, क्षेत्रीकरण और एक पर्यावरण अनुकूल पर्यटन योजना के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- देशज सामग्री के संधारणीय उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिएस्थानीय समुदायों को शामिल किया जाएगा। |
- प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र में एक फाउंडेशन का गठन और राजस्व को स्थानीय समुदायों के साथ साझा किया जाएगा।
- जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी तंत्र स्थापित किए जाएंगे।
गंगा और सिंधु नदी डॉल्फिन संबद्ध जलीय जीवों और अधिवास स्थलों की निगरानी के लिए फील्ड गाइड
- असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,राजस्थान और पंजाब में सामंजस्यपूर्ण तरीके से डॉल्फिन गणना प्रक्रिया हेतु एक मानकीकृत निगरानी प्रोटोकॉल लागू किया जाएगा।
- प्रोटोकॉल में गंगा डॉल्फिन की आबादी की प्रत्यक्ष अवलोकन आधारित निगरानी (visual monitoring) शामिल है।
डॉल्फिन के बारे में:
- डॉल्फिन शीर्ष स्तर का एक जलीय शिकारी जीव है और यहजलीय प्रणाली के पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखता
- गंगा डॉल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है।
- गंगा और सिंधु नदी डॉल्फिन दोनों को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में एंडेंजर्ड (लुप्तप्राय) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
स्रोत – पी आई बी