हिंदू कुश हिमालय में जल, बर्फ, समाज और पारिस्थितिकी तंत्र रिपोर्ट
हाल ही में हिंदू कुश हिमालय में जल, बर्फ, समाज और पारिस्थितिकी-तंत्र (Water, Ice, Society, and Ecosystems in the Hindu Kush Himalaya: HI-WISE) रिपोर्ट जारी की गई है ।
HI-WISE रिपोर्ट को इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) ने जारी किया है। हिंदू कुश हिमालय (HKH) दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। इसे ‘तीसरा ध्रुव’ तथा ‘एशिया का वाटर टावर’ भी कहा जाता है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- क्रायोस्फीयर: ग्लेशियर के पिघलने (mass loss) में 65% की तेजी आई है।
- इस सदी के अंत तक ग्लेशियर्स के वर्तमान आयतन का लगभग 80% हिस्सा नष्ट हो सकता है।
- प्रमुख सुझाव: ग्लेशियरों के पिघलने के प्रभावों का आकलन किया जाना चाहिए। इस अनुरूप अनुकूलन संबंधी रणनीतियां बनानी चाहिए।
- पर्माफ्रॉस्ट में होने वाले बदलावों का भी आकलन करना आवश्यक है । इसके परिणामस्वरूप, आजीविका और बुनियादी ढांचे के समक्ष उत्पन्न खतरों का भी आकलन करना जरूरी है।
- पर्माफ्रॉस्ट मृदा की मोटी उप-सतही परत होती है। इसका तापमान वर्ष भर हिमांक बिंदु से नीचे बना रहता है।
- जल: ग्लेशियर्स के तेजी से पिघलने के कारण इस शताब्दी के लगभग मध्य तक पीक वाटर की स्थिति पैदा हो जाएगी।
- पीक वाटर से आशय है कि जिस दर से जल की खपत हो रही होगी, उसी दर से ताजे जल की आपूर्ति करने वाले स्रोत की भरपाई नहीं हो रही होगी। ग्लेशियर के सिकुड़ने से ‘स्लो ऑनसेट’ के साथ-साथ भारी वर्षा का खतरा बढ़ जाने के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं ।
स्रोत – डाउन टू अर्थ