हाल ही में पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांतीय दर्जा प्रदान करने के लिए विधेयक को अंतिम रूप दिया है।
पृष्ठभूमि
- गिलगित-बाल्टिस्तान तत्कालीन जम्मू और कश्मीर रियासत का एक हिस्सा था, जो कबायली लड़ाकों और पाकिस्तानी सेना द्वारा कश्मीर पर आक्रमण के उपरांत, 4 नवंबर,1947 से यह पाकिस्तान के नियंत्रणाधीन है।
- इसका नाम परिवर्तित करके ‘पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र’ (Northern Areas of Pakistan) कर दिया गया था। इसे कराची समझौते, 1949 के माध्यम से पाकिस्तान की संघीय सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में लाया गया था।
- गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश (GB Order), 2018 का मुख्य उद्देश्य गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के पांचवें प्रांत के रूप में शामिल करना है।
- बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंघ पाकिस्तान के अन्य चार प्रांत हैं।
भारत का पक्ष
- भारत ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा है कि अवैध रूप से और बलपूर्वक अधिकृत किये गए क्षेत्रों पर पाकिस्तान की कोई अधिस्थिति (locus standi) नहीं है।
- भारत ने दावा किया है कि यह क्षेत्र ‘वर्ष 1947 से भारत संघ के जम्मू और कश्मीर के वैध, पूर्ण एवं अखण्डनीय अधिग्रहण के आधार पर भारत का एक अभिन्न अंग है।
गिलगित-बाल्टिस्तान का महत्व
- गिलगित-बाल्टिस्तान भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और चीन के संपर्क बिंदु पर स्थित है।
- सियाचिन ग्लेशियर जैसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिमनद, गिलगित-बाल्टिस्तान में अवस्थित हैं।
- पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले सिंधु नदी गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर प्रवाहित होती है ।
- सिंधु नदी की जलविद्युत क्षमता इसे ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण बनाती है।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र से होकर गुजरता है ।
स्रोत –पीआईबी