भारत का पहला हाइब्रिड – साउंडिंग रॉकेट तमिलनाडु से लॉन्च
हाल ही में एक प्राइवेट कंपनी ने भारत का पहला हाइब्रिड – साउंडिंग रॉकेट तमिलनाडु के चेंगलपट्टू से लॉन्च किया है।
- इसे मार्टिन फाउंडेशन ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उपग्रह प्रक्षेपण यान मिशन-2023 को लॉन्च किया है।
- इसे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन और स्पेस जोन इंडिया के सहयोग से लॉन्च किया गया है।
- इस रॉकेट का उपयोग मौसम, वायुमंडलीय दशाओं और विकिरणों में अनुसंधान के लिए किया जा सकता है।
- साउंडिंग (परिज्ञापी) रॉकेट एक या दो चरण वाले ठोस प्रणोदक रॉकेट (Solid Propellant Rockets) होते हैं।
- इनका उपयोग ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्रों का अध्ययन करने (एरोनॉमी) और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए किया जाता है।
- इनका इस्तेमाल प्रक्षेपण यान और उपग्रहों में उपयोग किए जाने से पहले नए घटकों या उप-प्रणालियों के प्रोटोटाइप का परीक्षण करने या उनकी सटीकता जांचने के लिए किया जा सकता है।
- साउंडिंग रॉकेट्स का नाम नॉटिकल शब्दावली “To Sound” से लिया गया है, जिसका अर्थ है मापना।
- हाइब्रिड- रॉकेट में अलग-अलग प्रणोदकों का उपयोग किया जाता है। इनमें एक ठोस और दूसरा या तो गैस या तरल प्रणोदक होता है
- वर्ष 1963 में केरल के थुंबा विषुवतरेखीय रॉकेट प्रक्षेपण स्टेशन (TERLS) से पहला साउंडिंग रॉकेट प्रक्षेपित किया गया था।
- इसी के साथ भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। थुंबा को इसलिए चुना गया था, क्योंकि यह स्थल चुंबकीय विषुवत रेखा (Magnetic Equator) के निकट स्थित है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO / इसरो) ने वर्ष 1967 में रोहिणी RH-75 नामक साउंडिंग रॉकेट का स्वदेशी संस्करण प्रक्षेपित किया था।
- वर्ष 1975 में, इसरो ने रोहिणी साउंडिंग रॉकेट (RSR) कार्यक्रम के तहत सभी साउंडिंग रॉकेट गतिविधियों को संगठित (Consolidated) कर दिया था।
रोहिणी RH – 200 के बारे में
- RH-200 वर्तमान में इसरो द्वारा परिचालित तीन साउंडिंग रॉकेट्स में से एक है। इसका उपयोग मौसम विज्ञान संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- अन्य दो RH-300 Mk 2 और RH-560Mk2 हैं। इनका उपयोग एरोनॉमी के लिए किया जाता है ।
- रॉकेट के नाम में ‘200’ मिलीमीटर (mm) में रॉकेट के व्यास को दर्शाता है।
- RH-200 रॉकेट में पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) आधारित प्रणोदक का उपयोग किया गया था।
- वर्ष 2020 में पहली बार RH-200 में हाइड्रॉक्सिल – टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडीन (HTPB) आधारित एक नए प्रणोदक का उपयोग किया गया था।
स्रोत – द हिन्दू