पश्चिम बंगाल में होगा विधान परिषद् का गठन
हाल ही में ,पश्चिम बंगाल विधानसभा ने विधान परिषद् के गठन का प्रस्ताव पारित किया है।
- विधान परिषद, राज्य सभा की भांति ही राज्य विधायिका में उच्च सदन होता है तथा यह एक स्थायी सदन है।
- विधान परिषद के सदस्य या तो राज्य के राज्यपाल द्वारा नाम निर्दिष्ट होते हैं या अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होतेहैं ।
- विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है तथा सदन के एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्षउपरांत सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
पात्रता मानदंड:
- भारतीय नागरिक जो कम से कम 30 वर्ष का हो। एक व्यक्ति एक साथ संसद और राज्यविधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता।
- संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार संसद विधि द्वारा किसी भी राज्य में विधान परिषद का सृजन एवंउत्सादन कर सकती है, यदि उस राज्य की विधान सभा द्वारा इस आशय का संकल्प पारित कर दिया है।
- साथ ही, अनुच्छेद 171 के तहत विधान परिषद की कुल सदस्य संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होगी, परन्तु किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी। संकल्प को विधानसभा के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा पारित किया जाता है। तत्पश्चात इस आशय का एक विधेयक संसद द्वारा पारित किया जाता है।
- वर्तमान में छह राज्यों अर्थात बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में विधान परिषदें हैं।
विधान परिषद के सदस्य निम्नलिखित तरीके से आते हैं, इनमें-
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा द्वारा किया जाता है।
- 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों जैसे नगरपालिका या अन्य स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा चुने जाते हैं।
- 1/12 सदस्यों को 3 वर्षीय स्नातक निर्वाचित करते हैं।
- 1/12 सदस्यों का निर्वाचन 3 वर्षों से अध्यापन कर रहे लोग करते हैं।
- 1/6 राज्यपाल द्वारा नामनिर्दिष्ट होते हैं।
स्रोत – द हिन्दू