पश्चिम बंगाल में गठित होगी विधान परिषद
हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कैबिनेट की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें निर्णय लिया गया, कि पश्चिम बंगाल में ‘विधान परिषद’ (Legislative Council) का गठन किया जायेगा ।
विधान परिषद् के गठन की प्रक्रिया
- विधान परिषद की स्थापना करने के लिए सर्वप्रथम सम्बंधित राज्य की विधानसभा में, जहां विधान परिषद् का गठन करना है, एक विधेयक प्रस्तुत किया जाता है। इस विधेयक के लिए राज्यपाल का अनुमोदन भी आवश्यक होता है।
- विदित हो कि पश्चिम बंगाल में इससे पहले भी विधान परिषद् (उच्च सदन) की स्थापना वर्ष 1952 में की गई थी, जो वर्ष 1969 तक कार्यरत रहा।
- संविधान के अनुच्छेद-168 से 212 तक ,अर्थात संविधान के छठे भाग में, राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के गठन, कार्यकाल, नियुक्तियों, चुनाव, विशेषाधिकार एवं शक्तियों की व्यवस्था की गई है।
- संविधान के अनुसार, राज्य विधानमंडल में विधान परिषद उच्च सदन के रूप में एक स्थायी सभा होती है।
- अभी तक केवल आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश को मिलाकर, कुल 6 राज्यों में विधान परिषद है, जम्मू-कश्मीर के केन्द्रशासित प्रदेश बनने से, अब वहां से विधानपरिषद समाप्त हो गई है ।
- विधानपरिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जो राज्यसभा सदस्यों के समान है, तथा प्रति दो वर्ष में कुल सदस्यों में से 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
विधान परिषद् का महत्त्व
- भारत की संसदीय प्रणाली द्विसदनीय (Bicameral) है, अर्थात यहाँ निम्न सदन के रूप में लोकसभा तथा उच्च सदन के रूप में राज्यसभा होती है।
- इसी प्रकार राज्य में भी दो सदन हो सकते हैं, इनमे निम्न सदन के रूप में विधानसभा (Legislative Assembly) होती है, तथा उच्च सदन के रूप में ‘विधान परिषद’ (Legislative Council) होती है । विधानसभा केंद्र की लोकसभा के समान, तथा विधान परिषद् केंद्र के राज्यसभा के समान होती है।
‘विधान परिषद’ के निर्माण की प्रक्रिया
- संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत, संसद विधि द्वारा किसी विधान परिषद् वाले राज्य में विधान परिषद् के उत्सादन के लिए या ऐसे राज्य में ,जिसमें विधान परिषद् नहीं है, विधान परिषद के लिए उपबंध कर सकेगी,यदि उस राज्य की विधान सभा ने इस आशय का संकल्प विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों की संख्या के कम से कम दो तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर दिया है।
सदन में सदस्यों की संख्या:
- संविधान के अनुच्छेद 171 खंड (1) के अनुसार, विधान परिषद वाले राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या, उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी, एवं किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या किसी भी दशा में चालीस से कम नहीं होगी।
विधान परिषद के सदस्यों का निर्वाचन:
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- 1/3 सदस्य राज्य की नगरपालिकाओं, ज़िला बोर्ड और अन्य स्थानीय संस्थाओं द्वारा निर्वाचित होते हैं।
- 1/12 सदस्य, अध्यापकों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा।
- 1/12 सदस्य, पंजीकृत स्नातकों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा।
- शेष 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा, साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता आंदोलन और समाज सेवा क्षेत्रों में प्रतिष्ठा प्राप्त व्यक्तियों में से मनोनीत किये जाते हैं।
स्रोत – द हिन्दू