हाल ही में उच्चतम न्यायालय (SC) ने स्पष्ट किया कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में सभी प्रकार के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय (HC) के आदेश को रद्द कर दिया है।
- उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को चरम-प्रकृति का घोषित किया है। उच्चतम न्यायालय ने विचार व्यक्त किया है कि उच्च न्यायालय को ऐसा कोई भी आदेश पारित करने से पूर्व उद्योग का पक्ष भी जान लेना चाहिए था।
- विगत सप्ताह उच्चतम न्यायालय ने राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों को प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने वाले अपने आदेश का अनुपालन करने का आदेश दिया था।
- किंतु ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि पटाखों पर कोई संपूर्ण प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि त्यौहार के दौरान ग्रीन क्रैकर्स का उपयोग किया जा सकता है।
- उच्चतम न्यायालय ने सख्त आदेश दिया था कि इस नियम के उल्लंघन की स्थिति में मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त, पुलिस जिला अधीक्षक और स्टेशन हाउस अधिकारी व्यक्तिगतरूप से उत्तरदायी होंगे।
- वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखों पर दिए गए निर्णय ने पटाखों (पटाखे या लड़ियाँ) के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि वे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और ठोस अपशिष्ट की समस्या उत्पन्न करते थे।
- इसके अतिरिक्त, SC ने पटाखों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले कुछ रसायनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, जैसे- बेरियम (हरा रंग प्रदान करता है), लिथियम (लाल),आर्सेनिक व सुरमा (चमक के लिए), सीसा या पारा और स्ट्रोंटियम क्रोमेट।
- हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने केवल हरित या ‘उन्नत’ पटाखे (भरण सामग्री के रूप में राख का उपयोग नहीं होता) के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी थी।
ग्रीन पटाखों (ग्रीनक्रैकर्स) के बारे में
- इन्हें कम प्रदूषणकारी कच्चे माल का उपयोग करके बनाया जाता है। उनका रासायनिक सूत्रीकरण उत्पन्न धूल को दबाकर वायुमंडल में कणिकीय उत्सर्जन को कम करता है।
- ग्रीन पटाखों पर शोध और उनका विकास वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (CSIR-NEERI) ने किया है।
- भारत में विभिन्न प्रकार के ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं: सेफ वाटर रिलीजर (SWAS), सेफ थाइट क्रैकर (STAR) और सेफ मिनिमल एल्यूमीनियम (SAFAL) क्रैकर्स।
- जबकि नियमित पटाखे लगभग 100 डेसिबल ध्वनि उत्सर्जित करते हैं, ग्रीन पटाखों की ध्वनि दर 110-125 डेसिबल तक सीमित है।
स्रोत – द हिन्दू