नैनो यूरिया उत्पादन
हाल ही में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए नैनो यूरिया के उत्पादन और बिक्री की प्रगति की समीक्षा की है ।
- वर्ष 2022-23 में 27 लाख मीट्रिक टन (एमटी) पारंपरिक यूरिया के बराबर नैनो यूरिया की 6 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। साथ ही इन्हें किसानों को भी उपलब्ध कराया जाएगा।
- नैनो यूरिया एक पेटेंट प्राप्त रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है। इसमें 20-50 नैनोमीटर के नैनो नाइट्रोजन कण होते हैं। इसे कलोल स्थित इफको के नैनो जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र ने विकसित किया है।
- नैनो यूरिया की पोषक तत्व उपयोग क्षमता 80% से अधिक है। इसके विपरीत, पारंपरिक दानेदार यूरिया की यह क्षमता केवल 30-50% ही है।
- नैनो यूरिया की पोषक तत्व उपयोग क्षमता अधिक इसलिए है, क्योंकि नैनो यूरिया में सतह-द्रव्यमान अनुपात (surface-mass ratios) अधिक होता है। यह विशेषता पौधों को पोषक तत्वों की नियंत्रित उपलब्धता में मदद करती है।
- यह फसल उत्पादकता को 8% तक बढ़ाता है।
पारंपरिक यूरिया से नाइट्रोजन निम्नलिखित कारणों से व्यर्थ हो जाता है:
- निक्षालन (leaching): इससे मिट्टी और जल निकाय दूषित हो जाते हैं।
- वाष्पीकरणः वायुमंडल में नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण और कमी वैश्विक तापवृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
पारंपरिक यूरिया की पोषक तत्व उपयोग क्षमता को बढ़ाने के तरीके:
- उर्वरक को गहराई में डालना,
- कई चरणों में उर्वरक का उपयोग (फसल बढ़ने के दौरान दो या दो से अधिक बार),
- फसल की पत्तियों पर उर्वरक छिड़कना,
- नीम लेपित यूरिया का उपयोग करना,
- जब मिट्टी और वायु का तापमान ठंडा हो या उर्वरक उपयोग के बाद शीघ्र वर्षा होने वाली हो तभी खाद और यूरिया उर्वरक का छिड़काव किया जाना चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू