संसदीय स्थायी समिति के द्वारा नैनो – उर्वरकों के उपयोग के लाभों को रेखांकित किया

संसदीय स्थायी समिति के द्वारा नैनो- उर्वरकों के उपयोग के लाभों को रेखांकित किया

हाल ही में “संधारणीय फसल उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नैनो- उर्वरक” रिपोर्ट जारी की गई है।

इस रिपोर्ट में संसदीय स्थायी समिति के द्वारा नैनो-उर्वरकों के उपयोग के लाभों को रेखांकित किया गया है। साथ ही, इस रिपोर्ट में नैनो- उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी सुझाव दिए गए हैं।

इसे पहले, इफको ने नैनो- प्रौद्योगिकी आधारित उर्वरकों (नैनो यूरिया और नैनो डी.ए.पी.) का विकास किया था ।

इफको ने नैनो उर्वरक मैक्रोन्यूट्रिएंट ग्रेड्स (नैनो नाइट्रोजन) और सेकेंडरी / माइक्रोन्यूट्रिएंट ग्रेड्स (नैनो जिंक, नैनो कॉपर, नैनो बोरान, नैनो सल्फर) आदि का भी विकास किया है।

नैनो- उर्वरक के लाभ

  • मूल्य संबंधी लाभ: किसानों के लिए खेती की इनपुट लागत को कम करता है।
  • उच्च दक्षता: उदाहरण के लिए, नैनो यूरिया की दक्षता 85 – 90 प्रतिशत है। वहीं पारंपरिक यूरिया की दक्षता केवल लगभग 25 प्रतिशत ही है ।
  • यह तुलनात्मक रूप से अधिक फसल उपज सुनिश्चित करता है। नैनो- उर्वरकों के उपयोग से औसतन 8 प्रतिशत अधिक फसल उपज हासिल की गई थी ।
  • नैनो-उर्वरक के उपयोग से यूरिया के आयात, सरकारी सब्सिडी, लॉजिस्टिक और भंडारण लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।
  • कृषि क्षेत्र में संधारणीयता हासिल करने में मदद मिलेगी।
  • ऐसा नैनो-उर्वरकों के उपयोग से फसलों में पोषक तत्वों की ग्रहण क्षमता बढ़ने, जल की खपत के कम होने तथा पर्यावरणीय क्षति में कमी आने से संभव हो सकेगा ।

रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें:

  • नैनो- उर्वरक का उत्पादन सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जाना चाहिए ।
  • नैनो–उर्वरक के उत्पादन को उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना के अंतर्गत लाना चाहिए।
  • उर्वरक उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल से समृद्ध देशों के साथ दीर्घकालिक समझौते किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, उनके साथ मिलकर संयुक्त उद्यम संयंत्र स्थापित भी करने चाहिए ।

भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको)

  • यह एक बहु- राज्य सहकारी समिति है। इसकी स्थापना 1967 में की गई थी।
  • यह देश की सबसे बड़ी सहकारी समिति तथा देश की सबसे बड़ी उर्वरक निर्माता है ।
  • इफ्को की बाजार हिस्सेदारी – कॉम्प्लेक्स फ़र्टिलाइज़र के मामले में लगभग 29 प्रतिशत तथा यूरिया के मामले में लगभग 19 प्रतिशत है।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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