ऑस्ट्रेलिया का नेशनल आर्ट म्यूजियम भारत को 14 कलाकृतियां लौटाएगा
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के नेशनल आर्ट म्यूजियम ने भारत के ऐतिहासिक महत्त्व की 14 कलाकृतियां लौटाने की बात कही है।इस संग्रहालय में बड़ी संख्या में “धार्मिक और सांस्कृतिक” कलाकृतियां मौजूद हैं।
- इनमें से कुछ 12वीं शताब्दी की हैं, जब तमिलनाडु में चोल राजवंश ने एक समृद्धशाली कला से परिपूर्ण राज्य पर शासन किया था।
- चोल राजवंश एक तमिल राजवंश था। इसकी स्थापना विजयालय ने की थी। राजेंद्र चोल, चोल साम्राज्य का सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक था। वह राजराज चोल काउत्तराधिकारी था।
- तमिलनाडु में चोल मंदिरों के एक समूह महान प्राणवानचोल मंदिर (Great living Chola temple) को यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है।
- चोल काल अपनी धातु की मूर्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है।एक प्रमुख उदाहरण शिव नटराज की मूर्ति है।
लौटाई जा रही प्रमुख कलाकृतियां:
- नृत्य मुद्रा में बाल संत सांबंदर की प्रतिमा जो कि 12वीं सदी में चोल वंश से संबंधित है।सांबंदर, दक्षिण भारत के तीनप्रमुख संतों ‘मुवर’ में से एक हैं। तमिलनाडु के लगभग सभी शिवमंदिरों में उनकी प्रतिमा पाई जाती है ।
- मेहराबदार वेदिका पर आसन मुद्रा में जैन तीर्थकर (जिन)की प्रतिमा, यह प्रतिमा 11वीं-12वीं शताब्दी; माउंट आबू क्षेत्र, राजस्थान की है, जिसमे 5 तीर्थंकरों को आमतौर पर सरल मुद्रा मेंचित्रित किया जाता है।यह अहिंसा और सांसारिक संपत्ति के प्रति विरक्ति को दर्शाता है। यह जैन आदर्शों के केंद्रीय विचार हैं।
सांस्कृतिक कलाकृतियों के संरक्षण की पहले
- सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने के लिए यूनेस्को का अभिसमय हस्ताक्षरित किया गया है।
- संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत की अमूर्त विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा के लिए योजना संचालित की जा रही है।
स्रोत –द हिन्दू