नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत

हाल ही में विदेश मामलों पर संसदीय समिति ने ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ पर अपनी रिपोर्ट जारी की है।

ज्ञातव्य को कि नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी की अवधारणा वर्ष 2008 के आस-पास परिकल्पित की गई थी।  यह एक गतिशील नीति है, जिसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सलाहकारी, गैर-पारस्परिक (निःस्वार्थ) और परणाम उन्मुख  दृष्टिकोण को अपनाना है ।

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी नीति के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान और श्रीलंका देशों को शामिल किया गया हैं ।

इस नीति के तहत, भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संवाद और संचार बनाए रखने के लिए सार्क, बिम्सटेक, बांग्लादेश भूटान – भारत – नेपाल (BBIN) जैसे क्षेत्रीय मंचों का उपयोग करता है ।

रिपोर्ट में की गई सिफारिशें:

  • आतंकवाद से निपटने के लिए एक साझा मंच स्थापित करना चाहिए ।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ और ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के बीच समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर एक प्रकोष्ठ गठित करने की आवश्यकता है। यह अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों द्वारा इस दिशा में की जा सकने वाली विशेष पहलों की पहचान करेगा।
  • संयुक्त परियोजना निगरानी समितियों और निरीक्षण तंत्र को मजबूत करके विकास परियोजनाओं को एक समय सीमा के भीतर पूर्ण करना चाहिए ।

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के समक्ष चुनौतियां:

  • भारत को पड़ोसी देशों से अक्सर सीमा – पार आतंकवाद, अवैध प्रवासन, दुर्व्यापार, नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी आदि से उत्पन्न खतरों का सामना करना पड़ता है।
  • विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी की वजह से संबंधों में अवरोध उत्पन्न होता है।
  • चीन की बेल्ट एंड रोड पहल और अमेरिका का इंडो-पैसिफिक विज़न तथा इन देशों के बीच प्रतिस्पर्धा भी चुनौतियां पेश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनके केंद्र में भारत के पड़ोसी देश भी हैं ।
  • पडोसी देशों के साथ संसदीय स्तर पर सीमित आदान-प्रदान होता है ।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों में, विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में अवसंरचना की कमी भी पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी को प्रभावित कर रही है ।

नीति के तहत की गई विविध पहलें:

  • भौगोलिक कनेक्टिविटी: चाबहार बंदरगाह (ईरान), कलादान परियोजना (म्यांमार) तथा चटगांव और मोंगला बंदरगाह (बांग्लादेश) का उपयोग करने पर समझौते किए गए हैं।
  • ऊर्जा कनेक्टिविटी: नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ ग्रिड इंटरकनेक्शन; बांग्लादेश में मैत्री सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की स्थापना; भूटान में मांगदेछु जलविद्युत परियोजना की स्थापना आदि ऊर्जा कनेक्टिविटी के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
  • व्यापार कनेक्टिविटी: इसके उदाहरण हैं- विशेष बाजार पहुंच; वित्तीय सहायता; बांग्लादेश से लगती सीमा पर सीमा प्रशुल्क स्टेशंस की स्थापना, श्रीलंका को लाइन ऑफ क्रेडिट प्रदान करना आदि ।
  • मानवीय सहायताः पड़ोसी देशों को प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) की सेवाएं और आपदा सहायता पहुंचाकर भारत इन देशों को मानवीय सहायता प्रदान करता रहा है।
  • इसके कुछ उदाहरण हैं- सुनामी EWS प्रदान करना, नेपाल को भूकंप के पश्चात राहत सहायता, कोविड-19 के दौरान सहायता आदि ।

स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स

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