नीलकुरिंजी पौधों (स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना) को संरक्षण

नीलकुरिंजी पौधों (स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना) को संरक्षण

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची III के तहत नीलकुरिंजी (स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना/Strobilanthes kunthiana) को संरक्षित पौधों की सूची में शामिल करते हुए सूचीबद्ध किया है।

संरक्षण से लाभ:

  • केंद्र सरकार के इस फैसले से नीलकुरिंजी के पौधों को बचाने में मदद मिलेगी।
  • पौधे को उखाड़ने या नष्ट करने वालों को 25,000 रुपये का जुर्माना और तीन साल की कैद होगी।
  • आदेश के अनुसार, नीलकुरिंजी की खेती और उसे रखने की अनुमति नहीं है।
  • पश्चिमी घाट में नीलकुरिंजी से लेकर कार्वी फूल के खिलने तक सह्याद्री रेंज में यात्री इन मौसमी फूलों को देखने के लिए ट्रेकिंग करते हैं।
  • हाल के दिनों में जब एक विशेष क्षेत्र में नीलकुरिंजी के फूल खिलने की सूचना मिली थी, तब बड़ी संख्या में पर्यटक उस स्थान पर पहुंच गए थे।
  • नीलकुरिंजी के पौधों को नष्ट करना और उखाड़ना इस फूल वाले क्षेत्रों के लिए एक बड़ा खतरा है।
  • आम तौर पर चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन इस आशय के घोषणा करते हैं कि नीलकुरिंजी के पौधों और फूलों को नष्ट करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। अब नए आदेश के अनुसार, वन क्षेत्र, संरक्षित क्षेत्र और राष्ट्रीय उद्यानों में नीलकुरिंजी को उखाड़ने या नष्ट करने वालों के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा।

नीलकुरुंजी के बारे

  • नीलकुरिंजी का पौधा मंगलादेवी पहाड़ियों से लेकर नीलगिरी पहाड़ियों तक पश्चिमी घाट के एक छोटे से हिस्से की एंडेमिक (स्थानिक) प्रजाति थी।
  • पश्चिमी घाट क्षेत्र में, नीलकुरिंजी पौधों की लगभग 70 किस्मों की पहचान की गई है। सबसे लोकप्रिय नीलकुरिंजी स्ट्रोबिलैंथेस कुंथियाना (Strobilanthes kunthiana ) है जो 12 साल में एक बार खिलता है।
  • हालाँकि, नीलकुरिंजी की कुछ अन्य दुर्लभ किस्में भी पश्चिमी घाट क्षेत्र में पाई जाती हैं।
  • नीलकुरिंजी हाल में इडुक्की में संथानपारा में कल्लिप्पारा पहाड़ियों पर एक विशाल क्षेत्र में खिला था।
  • एक विशेषज्ञ टीम ने पहाड़ों में पौधे की छह किस्मों की पहचान की थी।
  • मुन्नार के पास एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान (Eravikulam National Park), कुरिंजी के व्यापक रूप से खिलने के लिए जाना जाता है। यहां अब 2030 में इसके खिलने की संभावना है ।

स्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course