नीति आयोग ने जारी किया ‘एसडीजी इंडिया इंडेक्स’ और ‘डैशबोर्ड 2020-21’
हाल ही में,नीति आयोग ने ‘सतत विकास लक्ष्य’ (एसडीजी) भारत सूचकांक 2020-21 और डैशबोर्ड 2020-21 का तीसरा संस्करण जारी किया।
इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने “एसडीजी इंडिया इंडेक्स और डैशबोर्ड 2020-21: कार्रवाई के दशक में भागीदारी” (SDG India Index and Dashboard 2020-21: Partnerships in the Decade of Action) नामक एक रिपोर्ट भी जारी की।
एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड का उपयोग सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals -SDGs) की निगरानी के लिए किया जाता है।
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- इसके अनुसार, देश का समग्र SDG स्कोर में स्थान 66वां है, इससे पहले वर्ष 2019 में यह स्थान 60वां था। इस वर्ष 6 अंकों का सुधार हुआ है।
- इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सकारात्मक कदम काफी हद तक स्वच्छ जल और स्वच्छता और सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में अनुकरणीय देशव्यापी प्रदर्शन से प्रेरित है।
- रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकारों के प्रदर्शन की रैंकिंग में‘केरल’राज्य ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
इस सूचकांक में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले अन्य राज्य हैं :
हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड, सिक्किम और महाराष्ट्र।
सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में बिहार सबसे आख़िरी पायदान पर है, इसके बाद झारखंड का स्थान आता है।
SDG को प्राप्त करने में तेजी से आगे बढ़ने वाले शीर्ष प्रमुख राज्य – मिजोरम, हरियाणा और उत्तराखंड
एसडीजी इंडिया इंडेक्स
विदित हो कि ‘एसडीजी इंडिया इंडेक्स’ में रैंकिंग के अनुसार राज्यों को 4 प्रमुख श्रेणी में रखा जाता इनमें –
- आकांक्षी (Aspirational): 0 – 49 अंक लाने पर राज्यों को ‘आकांक्षी’ राज्य।
- कर्ता (Performer): 50 – 64 अंक लाने पर ‘कर्ता’राज्य।
- फ्रंट रनर (Front Runner) : 65 – 99 अंक लाने वाले राज्यों को ‘फ्रंट रनर’ (Front Runner)।
- सफल (Achiever) : 100 अंक लाने वाले राज्यों को सफल (Achiever) राज्य।
ज्ञातव्य हो कि अभी तक कोई भी राज्य सफल (Achiever) राज्य की श्रेणी तक नहीं पहुंच सका है।
- सबसे अधिक अंक पाने वाले राज्य – केरल (75), तमिलनाडु (74)।
- सबसे कम अंक पाने वाले राज्य – बिहार (52), झारखण्ड (56)।
सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals -SDGs)
सतत विकास लक्ष में 17 वैश्विक गैर-बाध्यकारी लक्ष्य शामिल हैं, जो समावेशी, संपन्न व प्रगतिशील विश्व के लिए ज़रूरी हैं। इन लक्ष्यों को 2015 से 2030 के बीच पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश व पर्यावरण धरणीयता तथा सुशासन शामिल है।
स्रोत: पीआईबी