नीति आयोग के चुनिंदा निर्णय के आर्थिक प्रभाव पर रिपोर्ट जारी
हाल ही में नीति आयोग ने “भारत के उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के चुनिंदा निर्णय के आर्थिक प्रभाव पर रिपोर्ट जारी की है।
नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत यह रिपोर्ट कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (CUTS) ने तैयार की है। CUTS जयपुर स्थित नीति अनुसंधान और पक्षसमर्थन समूह है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष –
- उच्चतम न्यायालय और NGT के पर्यावरण संरक्षण से संबंधित 5 विशेष आदेशों की वजह से वर्ष 2018 से वर्ष 2021 के मध्य लगभग 8,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है।
- इन 5 निर्णयों के कारण लगभग 75,000 लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और 16,000 लोगों की नौकरी चली गई है।
- गोवा में खनन पर प्रतिबंध की वजह से केंद्र और राज्य को राजस्व का नुकसान हुआ है। खनन कंपनियों द्वारा करों के रूप में 39 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता था। परंतु सरकारों को प्रतिबंध के कारण इस राजस्व से वंचित होना पड़ा है।
- तमिलनाडु में परियोजना बंद होने से उन लोगों की आय प्रभावित हुई है, जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी। ऐसे लोगों की मासिक आय कम से कम 50 प्रतिशत कम हो गई है, जबकि कई लोग बेरोजगार हो गए हैं।
प्रमुख सिफारिशें –
- आर्थिक रूप से संवेदनशील मामलों के समाधान और निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञों को शामिल करके आर्थिक प्रभाव विश्लेषण किया जाना चाहिए। इन विशेषज्ञों में अर्थशास्त्री, पर्यावरणविद और समाजशास्त्री हो सकते हैं।
- निर्णय प्रक्रिया में लागत-लाभ विश्लेषण के विचार को शामिल किया जाना चाहिए।
- अधिकारियों को कुछ ऐसे गुणात्मक संकेतकों पर भी विचार करना चाहिए, जो आवश्यक रूप से परिमाणात्मक नहीं भी हो सकते हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना 18 अक्तूबर, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (National Green Tribunal Act), 2010 के तहत की गई थी।
- NGT की स्थापना का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संबंधी मुद्दों का तेज़ी से निपटारा करना है, जिससे देश की अदालतों में लगे मुकदमों के बोझ को कुछ कम किया जा सके।
- NGT का मुख्यालय दिल्ली में है, जबकि अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई में स्थित हैं।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के अनुसार, NGT के लिये यह अनिवार्य है कि उसके पास आने वाले पर्यावरण संबंधी मुद्दों का निपटारा 6 महीनों के भीतर हो जाए।
NGT की संरचना
- NGT में अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते है। वे तीन वर्ष की अवधि अथवा पैंसठ वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक पद पर रहेंगे और पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे।
- अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
स्रोत –द हिन्दू