उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव ‘अनूप चंद्र पांडे’ को हाल ही में चुनाव आयोग का नया ‘निर्वाचन आयुक्त’ (Election Commissioner) नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति से तीन सदस्यीय आयोग के रूप में ‘निर्वाचन- दल’ की पूर्ण शक्ति बहाल हो जाएगी।
निर्वाचन आयोग के बारे में:
- ‘भारत निर्वाचन आयोग’ (Election commission of India- ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है इसका कार्य भारत में केंद्र और राज्य निर्वाचन प्रक्रियाओं का संचालन करना है।
- संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत, संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन हेतु संचालन, निर्देशन व नियंत्रण एवं निर्वाचक मतदाता सूची तैयार कराने के लिए निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।
- निर्वाचन आयोग की स्थापना, 25 जनवरी 1950 हुई थी। इसीलिए, 25 जनवरी को प्रतिवर्ष ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ मनाया जाता है।
भारतीय संविधान में चुनाव आयोग की संरचना के संबंध में निम्नलिखित उपबंध किये गए हैं:
- चुनाव आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य आयुक्तों से मिलकर बना होता है
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे
- जब कोई अन्य निर्वाचन आयुक्त इस प्रकार नियुक्त किया जाता है तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।
- राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सहायता के लिए आवश्यक समझने पर, निर्वाचन आयोग की सलाह से प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है।
- निर्वाचन आयुक्तों और प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा शर्तें तथा पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जायेंगी।
चुनाव आयुक्त की पदावधि /पदमुक्ति के बारे में
विदित हो कि मुख्य निर्वाचन आयुक्तही निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष होते हैं, लेकिन इनकी शक्तियाँ अन्य निर्वाचन आयुक्तों के सामान ही होती हैं। चुनाव आयोग के सभी मामले, सदस्यों के बीच बहुमत से तय किए जाते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनो निर्वाचन आयुक्तों को एक-समान वेतन, व भत्ते प्रदान किये जाते हैं।
पदावधि:
मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक होता है। हालाँकि वे इससे पहले भी राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं।
पदत्याग:
निर्वाचन आयुक्त को कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है। ऐसे में मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से व उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है, जिन पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है।
सीमाएं:
- संविधान में, निर्वाचन आयोग के सदस्यों के लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं की गई है।
- इसके साथ ही सेवानिवृत्त होने वाले निर्वाचन आयुक्तों को सरकार द्वारा, दोबारा किसी भी पद पर की जाने वाली नियुक्ति से प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस