मुख्य चुनाव एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक,2023

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मुख्य चुनाव एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक,2023

हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री के द्वारा राज्यसभा में “मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023” पेश किया गया है ।

चुनाव आयोग तीन सदस्यीय संस्था है, जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और 2 अन्य निर्वाचन आयुक्त (EC) शामिल हैं।

ज्ञातव्य हो कि  मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (EC) की नियुक्ति एक सेलेक्शन पैनल द्वारा की जाएगी जिसमें प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में इस बात को रेखांकित किया गया था कि उसके दिशानिर्देश तब तक प्रभावी रहेंगे जब तक संसद संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुरूप कानून नहीं बनाती।

विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले तक, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति सरकार की सिफारिशों के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी।

नए विधेयक में प्रावधान:

  • चयन समिति: प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की एक चयन समिति CEC और अन्य EC की नियुक्ति करेगी। जब लोकसभा में लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, वहां सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को लोकसभा में विपक्ष का नेता माना जाएगा।
  • सर्च कमेटी: कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक सर्च कमेटी पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी, जिन्हें चयन समिति द्वारा नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकता है। सर्च कमेटी में दो अन्य सदस्य होंगे जो सरकार के सचिव के पद से नीचे के रैंक नहीं होंगे और जिनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान और अनुभव होगा।
  • वर्तमान में, कानून मंत्री कुछ नाम प्रधान मंत्री के पास भेजते हैं। फिर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर CEC और अन्य EC की नियुक्ति करते हैं।
  • पात्रता: केंद्र सरकार के सचिव पद के समकक्ष पद धारण करने वाले या रह चुके व्यक्ति CEC और अन्य EC के पद पर नियुक्ति के पात्र होंगे।
  • वेतन-भत्ते: CEC और अन्य EC के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के समान होंगी। पहले, 1991 के अधिनियम के अनुसार, उनका वेतन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर था।

स्रोत – पी.आर.एस.इंडिया

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