भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

हाल ही में 16 नवंबर को सीएजी (CAG) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय परिसर में पहला ‘लेखा-परीक्षण दिवस’ मनाया गया। इस दिवस को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) संस्था की ऐतिहासिक शुरुआत और पिछले कई वर्षों में शासन, पारदर्शिता तथा जवाबदेही में इसके योगदान को रेखांकित करने के लिए मनाया जा रहा है।

CAG के बारे में:

  • भारत के संविधान के भाग V के अंतर्गत अध्याय V में भारत के CAG के एक स्वतंत्र पद का प्रावधान किया गया है।
  • भारत के संविधान में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ का उल्लेख अनुच्छेद 148 – 151 के तहत किया गया है। यह भारतीय लेखा परीक्षण तथा लेखा विभाग के प्रमुख होते हैं।
  • यह लोक वित्त के संरक्षक तथा देश की संपूर्ण वित्तीय व्यवस्था के नियंत्रक होते हैं। इसका नियंत्रण राज्य एवं केंद्र दोनों स्तरों पर होता है।
  • इसका कर्तव्य भारत के संविधान एवं संसद की विधियों के तहत वित्तीय प्रशासन को बनाए रखना है।

संवैधानिक पद पर नियुक्ति एवं कार्यकाल:

  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा की जाती है।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है।
  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारत की संचित निधि, प्रत्येक राज्य की संचित निधि तथा प्रत्येक संघ शासित प्रदेश, जहाँ विधान सभा हो, से सभी व्यय संबंधी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।
  • वह भारत की संचित निधि और भारत के लोक लेखा सहित प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि तथा लोक लेखा से सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है।
  • वह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग द्वारा सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ और हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य अनुषंगी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।
  • वह केंद्र और प्रत्येक राज्य द्वारा अनुदान प्राप्त सभी निकायों और प्राधिकरणों की प्राप्तियों और व्यय की लेखा परीक्षा करता है, इसके साथ ही संबध नियमों द्वारा आवश्यक होने पर सरकारी कंपनियों, अन्य निगमों एवं निकायों का भी लेखा परीक्षण करता है।
  • वह किसी कर अथवा शुल्क की शुद्ध आगमों का निर्धारण एवं प्रमाणन करता है और इन मामलों में उसका प्रमाणपत्र अंतिम होता है।
  • CAG संसद की ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee– PAC) के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक के रूप में कार्य करते हैं।

प्रतिवेदन (रिपोर्ट):

  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, केंद्र और राज्य के खातों से संबंधित अपनी लेखा प्रतिवेदन राष्ट्रपति और राज्यपाल को सौंपते है, जिसे वे क्रमशः संसद और राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के समक्ष रखवाते हैं।
  • CAG राष्ट्रपति को तीन लेखा प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है: विनियोग लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट, वित्त लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट तथा सार्वजनिक उपक्रमों पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट।

स्रोत – द हिन्दू

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