निचली अदालतों के रिकॉर्ड्स का हो डिजिटलीकरण : सुप्रीम कोर्ट
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने जिला अदालतों के आपराधिक और दीवानी मुकदमों के सभी रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण करने का आदेश दिया है।
- उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालतों के रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण को सुनिश्चित करने के लिए सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश जारी किए हैं।
- इसका उद्देश्य न्यायपालिका में दक्षता, प्रक्रियागत समानता और सहजता को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के अनुकूलन को बढ़ावा देना है।
- रिकॉर्ड के रूपांतरण के लिए उच्चतम न्यायालय की ई-समिति ने मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है।
- इसके तहत सभी उच्च न्यायालयों को एक डिजिटलीकरण सेल, न्यायिक डिजिटल रिपॉजिटरी और एक मानकीकृत प्रणाली स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता क्यों है?
- महामारी जैसी स्थितियों में भी कार्यवाहियों को जारी रखने और लोगों की भागीदारी दरों में सुधार करने के लिए।
- त्वरित व लागत प्रभावी न्याय वितरण सुनिश्चित करने के लिए ।
- न्यायालयों में लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए ।
- पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए ।
- न्याय को समान रूप से सुलभ बनाकर ग्रामीण-शहरी अंतर को समाप्त करने के लिए।
न्याय के वितरण में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में आने वाली चुनौतियां:
- डिजिटल डिवाइड,
- लोगों में तकनीकी जानकारी की कमी,
- आरंभिक पूंजी गहनता,
इस संबंध में आरंभ की गई अन्य पहलें –
- ई-कोर्ट मिशन: यह न्यायपालिका के डिजिटलीकरण के लिए एक मिशन मोड परियोजना है।
- अदालत, पुलिस, जेल प्रशासन जैसे हितधारकों के बीच डेटा और सूचना के निर्बाध हस्तांतरण को सक्षम बनाने के लिए इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) की शुरुआत की गई है।
- उच्चतम न्यायालय ने फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (FASTER) लॉन्च किया है।
- यह एक सॉफ्टवेयर है, जो इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से सुरक्षित रूप से न्यायालय के आदेशों को तेजी से प्रसारित करता है।
- सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर (SUVAS/सुवास) अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों का क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद करता है।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स