नासिक में तीन नई गुफा की खोज
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में महाराष्ट्र के नासिक में तीन नई गुफा की खोज की है। ये गुफाएं किस काल की हैं इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है। पुरातत्वविदों का अनुमान है कि यह संभवतः बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थान रहे होंगे।
मुख्य बिंदु
- इसके अलावा इन गुफाओं का अध्ययन कर रहे पुरातत्त्वविदों का मानना हैकियेगुफाएँ‘त्रिरश्मी गुफाओं’ से भी पुरानी हो सकती हैं।
- विदित हो कि लगभग दो शताब्दी पूर्व एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी ने नासिक की एक पहाड़ी में ‘त्रिरश्मी बौद्ध गुफाओं’- जिन्हें ‘पांडवलेनी’ के नाम से भी जाना जाता है, का दस्तावेज़ीकरण किया था।
- त्रिरश्मी या पांडवलेनी गुफाएँ लगभग 25 गुफाओं का एक समूह है, जो कि तकरीबन दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और छठी शताब्दी ईस्वी के बीच बनाई गई थीं।
- सबसे पहले इन गुफाओं के परिसर का दस्तावेज़ीकरण वर्ष 1823 में ब्रिटिश कैप्टन जेम्स डेलामाइन द्वारा किया गया था, और वर्तमान में यह भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के तहत संरक्षित स्थल और एक पर्यटन स्थल है।
- विदित हो कि नासिक में पाई गईंबौद्ध मूर्तियाँ और गुफाएँ, बौद्ध धर्म की हीनयान परंपरा का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय रॉक-कट वास्तुकला का एक महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक उदाहरण हैं।
- गुफाओं में बुद्ध और बोधिसत्व की छवियाँ हैं और इंडो-ग्रीक वास्तुकला के डिज़ाइन के साथ मूर्तियाँ भी मौजूद हैं। ‘कान्हेरी’ और ‘वाई’ गुफाओं के समान ही इन गुफाओं में भी भिक्षुओं के ध्यान के लिये विशेष व्यवस्था की गई है।
स्रोत: द हिन्दू