नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन
हाल ही में पहली बार, नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सौर पवनों के स्रोत के बारे में पता लगाने के लिए सूर्य को ‘स्पर्श’ किया है ।
सौर पवनों के संबंध में प्रोब द्वारा की गई खोज:
- सौर पवनों का तेज प्रवाह अचानक ऊर्जा विमुक्त करने वाले प्रस्फुटनों से उत्पन्न होता है। यह ऊर्जा चुंबकीय क्षेत्रों के तेजी से पुनः संरेखण (realignment) के दौरान विमुक्त होती है।
- प्रोब ने पता लगाया है कि कोरोनल होल्स “शॉवर हेड्स” के आकार के होते हैं। ये सामग्री के अधिकतर समान दूरी पर स्थित फनल से बने होते हैं। कोरोनल होल्स अंधकारमय व अपेक्षाकृत कम गर्म क्षेत्र हैं, जो सूर्य के बाहरी वातावरण में मौजूद हैं।
इस खोज का महत्त्व:
- इस मिशन द्वारा यह समझने में मदद मिलेगी कि सूर्य कैसे ऊर्जा को मुक्त करता है। साथ ही, भू-चुंबकीय तूफानों को कैसे संचालित करता है, जो संचार नेटवर्क के लिए खतरा हैं। सौर तूफानों का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा ।
- सौर पवनें प्लाज्मा का एक सतत प्रवाह है, जिसमें प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन जैसे आवेशित कण होते हैं।
- इसमें सौर चुंबकीय क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है तथा यह कोरोना से काफी आगे तक फैला हुआ है । ये ग्रहों और अंतर – तारकीय माध्यम से अंतर्क्रिया (interact) करती हैं।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भी इस वर्ष आदित्य – L1 मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह सूर्य और सौर कोरोना का निरीक्षण करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा ।
- इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु-1 (LI) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन कि.मी. दूर है।
स्रोत – द हिन्दू