नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) के सेवन पर आपराधिक मुकदमे से बचाव
हाल ही में केंद्र सरकार नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) के सेवन पर आपराधिक मुकदमे से बचाव के लिए एक नीति लाने पर विचार कर रही है।
केंद्र एक ऐसी नीति लाने पर विचार कर रहा है, जिसके तहत व्यसनियों (drug addicts) व मादक पदार्थ उपयोगकर्ताओं को आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए स्वयं ही उपचार केंद्रों में जाना होगा ।
वर्तमान में, NDPS अधिनियम, 1985 के तहत किसी भी मादक पदार्थ (narcotic drugs) तक की जेल और / या 20,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
भारत में मादक पदार्थों का उपयोग
वर्ष 2021 और 2022 में, मादक पदार्थों के उपयोग को लेकर संवेदनशील जिलों की संख्या 272 से बढ़कर 372 हो गई थी।
दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, सिक्किम, गोवा, चंडीगढ़, पुडुचेरी तथा त्रिपुरा में 100% जिले संवेदनशील के रूप में चिह्नित हैं।
मादक पदार्थों के सेवन को लेकर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) ने “मैग्नीट्यूड ऑफ सब्सटेंस यूज इन इंडिया 2019” नामक रिपोर्ट जारी की थी।
इस रिपोर्ट के अनुसार वयस्कों के बीच शराब सबसे अधिक इस्तेमाल (17.1% हिस्सा) किया जाने वाला मादक पदार्थ है। इसके बाद भांग, अफीम, सेडेटिव्स (शामक) आदि का स्थान है।
मादक पदार्थों के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए किए गए प्रयास
- नशा मुक्त भारत अभियान के तहत 508 पुनर्वास और नशा मुक्ति केंद्रों के नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।
- आध्यात्मिक और आस्था आधारित ऐसे संगठनों के साथ गठजोड़ किया जा रहा है, जिनके अपने अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, परामर्श केंद्र आदि हैं।
- मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (2018-2025) आरंभ की गई है ।
NDPS अधिनियम, 1985
- यह मादक पदार्थों और उनकी तस्करी से संबंधित है । यह केंद्र सरकार को व्यसनियों की पहचान, उपचार, देखभाल व पुनर्वास करने और उनके लिए निवारक शिक्षा हेतु आवश्यक उपाय करने के लिए अधिकृत करता है।
- उक्त अधिनियम के प्रशासन और प्रवर्तन के लिए सभी गतिविधियों के समन्वय हेतु नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू