जर्मनी के औपनिवेशिक युग के समय में हुए ‘नामीबिया जनसंहार’ पीड़ितों के वशंजों को आर्थिक सहायता

जर्मनी के औपनिवेशिक युग के समय में हुए ‘नामीबिया जनसंहार’ पीड़ितों के वशंजों को आर्थिक सहायता 

हाल ही में जर्मनी द्वारा स्वीकार किया गया कि नामीबिया में उसके औपनिवेशिक शासन के दौरान ही जनसंहार हुआ था। इसके बाद जर्मनी ने नामीबिया को एक अरब यूरो देने की भी घोषणा की जिसके जरिए जनसंहार पीड़ितों के वशंजों की सहायता की जा सके।

मुख्य बिंदु

  • जर्मनी द्वारा नामीबिया में सामुदायिक परियोजनाओं में सहायता करने हेतु 1.1 बिलियन यूरो (1.2 बिलियन डॉलर) की राशि भी प्रदान करने घोषणा की गई है।
  • नामीबिया ने उनके इस सहयोग का स्वागत करते हुए इसे “पहला कदम” बताया है, परन्तु कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जर्मनी द्वारा दी गई वित्तीय सहायता से वे जख्म क्या भर सकते हैं जो एक सदी से भी अधिक समय से रिस रहे हैं।

नामीबिया जनसंहार

  • विदित हो कि वर्ष 1904 से 1908 के बीच नामीबिया की साउथ वेस्ट अफ्रीका’ में हरेरो तथा नामा जनजातियों द्वारा जर्मन औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विद्रोह किया गया था।
  • इस विद्रोह को दबाने के लिए जर्मन उपनिवेशियों द्वारा इन समुदायों के लाखों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की हत्या कर दी गई थी।
  • इस विद्रोह का प्रमुख कारण स्थानीय जनजातियों द्वारा जर्मन उपनिवेशियों को अपनी भूमि और संसाधनों के लिए एक खतरे के रूप में देखा था।

वाटरबर्ग की लड़ाई (Battle of Waterberg)

  • इसी लड़ाई में जर्मन सैनिकों द्वारा रेगिस्तान में हरेरो जनजाति के महिलाओं और बच्चों सहित करीब 80,000 लोगों का पीछा कर मारा गया था , जिसमे से मात्र 15,000 लोग जीवित बचे सके।

नामीबिया का औपनिवेशिक इतिहास:

  • जर्मनी द्वारा वर्ष 1884 और 1890 के मध्य वर्तमान नामीबिया के कुछ भागों को औपचारिक रूप से उपनिवेश बना लिया था।
  • जर्मनों ने 1915 तक इस क्षेत्र पर शासन किया, जिसके बाद इस पर 1975 तक दक्षिण अफ्रीका का नियंत्रण रहा। अंत में नामीबिया को वर्ष 1990 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

आगे की कार्रवाई

  • कुछ इतिहासकार इन अत्याचारों को बीसवीं शताब्दी का पहला जनसंहार बताते है। जर्मन की इस हालिया स्वीकारोक्ति के बाद ,जर्मनी द्वारा एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाएँगे, जिसके बाद दोनों देशों की संसदों द्वारा इसकी अभिपुष्टि की जाएगी।
  • इसमें एक बार फिर जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर द्वारा नामीबियाई संसद के सामने जर्मनी द्वारा किए गए अपराधों के लिए आधिकारिक तौर पर क्षमा माँगी जाएगी।

स्रोत – द हिन्दू

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