नागा संघर्ष विराम समझौता
हाल ही में सरकार ने तीन नागा समूहों के साथ किये गए संघर्ष विराम समझौते को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।
गृह मंत्रालय ने निम्नलिखित समूहों के साथ समझौतों को विस्तार प्रदान किया है।
- नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-एनके(NSCN-NK),
- नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-रिफॉर्मेशन(NSCN-R) और
- नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के-खांगो (NSCN-K)
सरकार नागा शांति समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अलग-अलग नागा समूहों के साथ वार्ता करने का प्रयास कर रही है। इससे पहले केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-इसाक मुइवा (NSCN-IM) के साथ एक “फ्रेमवर्क एग्रीमेंट” पर हस्ताक्षर किए थे।
नागालैंड मुद्दा:
- नागा 60 से अधिक जनजातियों वाला एक समुदाय है। यह समुदाय भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी देश म्यांमार के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
- भारत की स्वतंत्रता के समय से ही नागा समूह अपनी विशेष पहचान का दावा करते हुए भारतीय संघ से अलग होने की मांग करता रहा है।
- अंगामी जपू फिजो के नेतृत्व में, नागा नेशनल काउंसिल (NNC) ने 14 अगस्त, 1947 को नागालैंड को एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया था।
- वर्ष 1980 में, NNC से अलग होकर NSCN का गठन किया गया था। वर्ष 1988 में, NSCN फिर से इसाक और मुइवा के नेतृत्व में NSCN (M) और खापलांग के नेतृत्व में NSCN (K) में विभाजित हो गया था।
- NSCN (M) नागालैंड के साथ, सभी निकटवर्ती नागा-आबादी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक “ग्रेटर नगालिम” की मांग कर रहा है। इसमें असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के कई जिलों के साथ-साथ म्यांमार का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है ।
स्रोत –द हिन्दू