परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्त्व अधिनियम 2010
हाल ही में फ्रांसीसी कंपनी ‘इलेक्ट्रीसाइट डी फ्रांस’ (EDF) ने कहा है कि, जैतापुर परियोजना से संबद्ध परमाणु दायित्व से जुड़े मुद्दे अभी तक अनसुलझे हैं।
- इससे पहले, इलेक्ट्रीसाइट डी फ्रांस (EDF) ने महाराष्ट्र के जैतापुर में 6 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण के लिए अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था ।
- हालांकि, भारत के परमाणु नुकसान के लिए सिविल दायित्व अधिनियम’ (CLNDA) से संबंधित मुद्दों के कारण परियोजना अब भी बाधित है।
- असैन्य परमाणु दायित्व से संबंधित कानून यह सुनिश्चित करता है कि परमाणु घटना या आपदा के कारण हुई परमाणु क्षति के लिए पीड़ितों को मुआवजा उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, यह निर्धारित भी करता है कि उन नुकसानों के लिए कौन उत्तरदायी होगा ।
परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्त्व अधिनियम, 2010 (CLNDA)
- भारत ने 2010 में CLNDA को अधिनियमित किया था । इसका उद्देश्य परमाणु दुर्घटना के पीड़ितों के लिए एक त्वरित मुआवजा तंत्र स्थापित करना था ।
- इसके अतिरिक्त, इस अधिनियम का एक ओर उद्देश्य भारत को पूरक मुआवजे पर अभिसमय (CSC) का एक पक्षकार बनाना भी था।
- CSC का लक्ष्य विश्वव्यापी दायित्व प्रणाली को स्थापित करना और पीड़ितों के लिए उपलब्ध मुआवजे की राशि में वृद्धि करना है ।
- CSC किसी परमाणु प्रतिष्ठान के ऑपरेटर के अनन्य दायित्व के सिद्धांत पर आधारित है और किसी अन्य पक्ष को इसमें शामिल नहीं करता है ।
- यह उन शर्तों को निर्धारित करता है, जिनके तहत राष्ट्रीय कानून आपूर्तिकर्ता से दायित्व का निर्वहन करवा सकते हैं।
- हालांकि, भारत ने इन शर्तों के परे जाकर CLNDA में ऑपरेटर के दायित्व के अतिरिक्त आपूर्तिकर्ता के दायित्व की अवधारणा को भी अपनाया है ।
- इससे परमाणु उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं में भारत के साथ परमाणु सौदों में शामिल होने को लेकर चिंता व्याप्त हुई है।
CLNDA की प्रमुख विशेषताएं
- यह ऑपरेटरर्स पर सख्त और कोई गलती न होने के बावजूद भी दायित्व निर्धारित करता है। यहां उसे किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, चाहे उसकी गलती हो या न हो ।
- यह किसी दुर्घटना के कारण हुई हानि के मामले में ऑपरेटर द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि को निर्धारित करता है।
- इसमें राशि पर सीमाओं और उस समय – सीमा को भी निर्दिष्ट किया गया है, जिसके भीतर ऑपरेटर के खिलाफ मुआवजे की कार्रवाई की जा सकती है।
स्रोत – द हिन्दू