युवाओं में नशीली दवाओं के दुरुपयोग- समस्याएं और समाधान, रिपोर्ट
हाल ही में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता पर संसद की स्थायी समिति ने ‘युवाओं में नशीली दवाओं के दुरुपयोग- समस्याएं और समाधान’ विषय पर रिपोर्ट सौंपी है।
समिति की मुख्य टिप्पणियां:
- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों / केंद्र – शासित प्रदेश में 10-17 वर्ष तथा 18-75 वर्ष के आयु वर्ग में लगभग 37 करोड़ लोग विविध नशीली दवाओं एवं शराब का सेवन कर रहे हैं ।
- जिला नशा मुक्ति केंद्रों (DDAC) की सेवाएं हर जगह उपलब्ध नहीं हैं।
- नशा निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन कार्यक्रम पर वित्तीय आवंटन में कमी की गई है। भारत नशीली दवाओं / मादक पदार्थों के कुछ सबसे बड़े उत्पादक देशों के बीच स्थित है।
- इन देशों को गोल्डन क्रिसेंट (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान) तथा गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम व लाओस ) में वर्गीकृत किया गया है।
- नवचेतना कार्यक्रम के तहत मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण प्रदान करने में देरी की जाती है। नवचेतना कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली बच्चों के लिए जीवन कौशल विकसित करना और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ शिक्षा प्रदान करना है।
समिति की प्रमुख सिफारिशें:
- नारकोटिक्स समन्वय केंद्र की शीर्ष समिति की नियमित बैठकें और समीक्षा होनी चाहिए ।
- नशीली दवाओं की मांग न्यूनीकरण पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDRR) के लिए एक प्रभावी आकलन तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
- शैक्षिक पाठ्यक्रम में नशीली दवाओं की लत, इसके दुष्परिणामों और नशा मुक्ति उपायों पर अध्याय शामिल करके लोगों के बीच जागरूकता पैदा करनी चाहिए ।
- नशीली दवाओं के आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए अंतर-मंत्रालयी समन्वय को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग की स्थिति पर अपडेट रहने के लिए राष्ट्रीय औषध निर्भरता उपचार केंद्रों (NDDTC) द्वारा आवधिक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
स्रोत – टाइम्स ऑफ इंडिया