नववर्ष के शुभारंभ पर आयोजित त्योहारों पर उप-राष्ट्रपति ने दी शुभकामनाएं
अप्रैल माह में आयोजित होने वाले विभिन्न त्योहारों के अवसर पर उप राष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
विदित हो कि अप्रैल माह में ‘उगादि, गुड़ी पड़वा, चैत्र शुक्लादि, चेटीचंड, वैशाखी, विशु, पुथांडु, और बोहाग बिहू’ आदि प्रमुख त्यौहार मनाये जाते है।
उन्होंने कहा कि यह त्यौहार पारम्परिक नववर्ष के शुभारंभ के अवसर पर मनाये जाते हैं और हमारे देश की सामासिक संस्कृति और समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों में नववर्ष त्यौहार
- भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। जो भारतीय कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है, इसे नवसंवत्सर कहते हैं । प्रायःयह तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती हैं।
- पंजाब में नया साल, बैशाखी नाम से13 अप्रैल को मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग ‘उगादि’ और कर्नाटक में ‘युगादी’ के नाम से इस त्यौहार को मनाते हैं।
- महाराष्ट्र में इसे ‘गुड़ी पड़वा’ (मराठी-पाडवा)के रूप में मनाया जाता है। ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है। मान्यता हैं कि हिन्दू सम्राट शालिवाहन ने इस दिन अपने शत्रुओं (शकों )पर विजय प्राप्त की थी।
- तमिलनाडु में ‘पुथांडु’ के नाम से यह त्यौहार मनाया जाता है। पुथांडु का दूसरा नाम ‘वृषा पीरप्पु’ भी है एवं केरल में इसे ‘विशु’ नाम से मनाते हैं।
- ओडिशा में ‘पणा संक्राति’ के नाम से,पश्चिमी बंगाल में ‘पोइला बोइशाख’ और असम में ‘बोहाग बिहू’ नव वर्ष के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
- सिंधी समुदाय के द्वारा ‘चेटीचंड’ के रूप में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस समुदाय का मानना है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व:
- भारत में इस त्यौहार का आयोजन अलग-अलग नामों से किया जाता है, परंतु उल्लास, उमंग और घनिष्ठता की भावना से परिपूर्ण उत्सवी माहौल, हर जगह एक समान होता है।
- वसंत ऋतु का आरंभ, वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
- फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
- नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
स्रोत – पीआईबी