नमक उद्योग संकट
नमक क्षेत्र के संकट से लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ गयी है।
नमक उद्योग में लगे किसानों और श्रमिकों को मजदूरी एवं सामाजिक सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है।
वर्तमान में, भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नमक उत्पादक देश है।
गुजरात देश का लगभग 80% नमक का उत्पादन करता है। तमिलनाडु, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश अन्य प्रमुख नमक उत्पादक राज्य हैं।
हिमाचल और राजस्थान में, नमक का उत्पादन खनन द्वारा किया जाता है। वहीं अन्य समुद्र तटवर्ती राज्य समुद्री जल के सौर-वाष्पीकरण प्रक्रिया के माध्यम से नमक उत्पादित करते हैं ।
भारत में नमक के प्रमुख स्रोत हैं:
समुद्री नमक, झील नमक, उप-मृदा नमक और सेंधा नमक निक्षेप।
‘नमक’ संविधान की 7वीं अनुसूची की संघ सूची में सूचीबद्ध है। इस प्रकार केंद्र सरकार नमक उद्योग के सभी पहलुओं को नियंत्रित करती है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय ‘नमक आयुक्त कार्यालय’ को उपर्युक्त कार्य सौंपा गया है। सरकार ने नमक उद्योग को वर्ष 1996-97 में लाइसेंस व्यवस्था से मुक्त कर दिया था।
नमक उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
- पुरातन कानूनः नमक उद्योग को नियंत्रित करने वाले कानून अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे।
- मूल्य समर्थन का अभाव है।
- पेशे से संबद्ध स्वास्थ्य संबंधी खतरेः चिरकालिक त्वचाशोथ या ‘डर्मेटाइटिस’ (त्वचा के छाले), समय से पहले दृष्टि की हानि और कॉर्निया के आकार में वृद्धि आदि।
स्रोत –द हिन्दू