नदी निगरानी स्टेशनों द्वारा नदी प्रदूषण की सूचना
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के अनुसार 75% नदी निगरानी स्टेशनों ने भारी धातुओं के प्रदूषण की सूचना दी है।
CSE की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रत्येक चार नदी निगरानी स्टेशनों में से तीन में विषाक्त भारी धातुओं के खतरनाक स्तर पाए गए हैं।
117 नदियों और सहायक नदी क्षेत्रों में विस्तारित एक-चौथाई निगरानी स्टेशनों ने दो या दो से अधिक विषाक्त धातुओं के उच्च स्तर की रिपोर्ट दी है।
सात राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खतरे में हैं। ये हैं:
- असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख। भारी धातुएं प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्व हैं। इनका परमाणु भार अधिक होता है। साथ ही, इनका घनत्व जल के घनत्व से कम से कम 5 गुना अधिक होता है।
- विषाक्त भारी धातुओं में सीसा, लोहा, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम और तांबा शामिल हैं।
भारी धातुओं के प्रदूषण के कारण:
- जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कृषि और औद्योगिक गतिविधियों में भी वृद्धि हो रही है।
- खनन, मिलिंग, प्लैटिंग और सरफेस फिनिशिंग उद्योग अलग-अलग प्रकार की विषाक्त धातुओं को पर्यावरण में छोड़ते हैं।
भारी धातुओं के संपर्क में आने के प्रभाव:
- स्वास्थ्य पर प्रभावः इनके संपर्क में आने से धीरे-धीरे शारीरिक, मांसपेशीय और तंत्रिका संबंधी अपक्षयी प्रक्रियाएं बढ़ती जाती हैं। इससे अल्जाइमर, पार्किंसंस आदि रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
- पर्यावरण पर प्रभावः कार्बनिक प्रदूषकों की जैव निम्नीकरणीय क्षमता प्रभावित होती है। इससे वे कम अपक्षयकारी हो जाते हैं।
- पौधों पर प्रभावः मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होती है, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है आदि।
वर्ष 2021 में, IIT मंडी ने जल के नमूनों से भारी धातुओं को अलग करने के लिए बायोपॉलीमर-आधारित सामग्री का उपयोग करके रेशेदार झिल्ली फिल्टर (fibrous membrane filter) विकसित किया था।
स्रोत –द हिन्दू