नए सुपरकंडक्टर (अतिचालक) का निर्माण

नए सुपरकंडक्टर (अतिचालक) का निर्माण

हाल ही में वैज्ञानिकों ने ऊर्जा की कम से कम हानि करने की संभावना वाले सुपरकंडक्टर का निर्माण किया है।

अमेरिका के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसा नया सुपरकंडक्टर (अतिचालक) बनाया है, जो पहले खोजे गए सुपरकंडक्टिंग पदार्थों की तुलना में कमरे के तापमान पर कार्य कर सकता । इसके अतिरिक्त, यह बहुत कम दाब पर भी काम कर सकता है।

इसे रेडमैटर (Reddmatter) नाम दिया गया है। इसे लुटेशियम नामक एक दुर्लभ भू-धातु को हाइड्रोजन और नाइट्रोजन के साथ मिश्रित करके बनाया गया है।

यह 21 डिग्री सेल्सियस और लगभग 10,000 वायुमंडलीय दाब पर बिना प्रतिरोध के विद्युत प्रवाह कर सकता है।

सुपरकंडक्टर्स ऐसे पदार्थ होते हैं, जो क्रांतिक ताप (critical temperature: CT) से नीचे ठंडा होने पर बिना किसी ऊर्जा हानि के विद्युत धाराओं को प्रवाहित कर सकते हैं।

ये पदार्थ सुपरकंडक्टिंग अवस्था में जाने पर चुंबकीय क्षेत्र को भी बाहर कर देते हैं। इसे माइस्नर प्रभाव (Meissner effect) कहा जाता है।

हालांकि, इस अवस्था को प्राप्त करना अव्यावहारिक माना जाता है, क्योंकि इसके लिए आमतौर पर इन्हें लगभग 195 डिग्री सेल्सियस जैसे अत्यधिक निम्न तापमान की आवश्यकता होती है। साथ ही, इन्हें कार्य करने के लिए बहुत अधिक दाब की भी जरूरत होती है।

सुपरकंडक्टर्स के संभावित उपयोग

इनका उपयोग न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस और मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) में किया जाता है।

इनका उच्च–ऊर्जा भौतिकी त्वरक और थर्मोन्यूक्लियर संलयन संयंत्रों में उपयोग किया जाता है।

ऐसे पदार्थ घर्षण रहित और पटरी से ऊपर हाई-स्पीड ट्रेन के संचालन में उपयोग किए जाते हैं।

इन्हें पावर ग्रिड में ऊर्जा हानि के बिना विद्युत पारेषण (transmission) में उपयोग किया जाता है।

स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड

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