नई उर्जा संभावनाएं ई फ्यूल के रूप में
हाल ही एक जर्मन ऑटोमोटिव निर्माता कंपनी पोर्श (Porsche) 2022 तक ईफ्यूल का उत्पादन करने के लिए ऊर्जा क्षेत्र की एक कंपनी सीमेंस (Siemens) के साथ जुड़ गयी है।इस परियोजना का लक्ष्य 2022 तक 1,30,000 लीटर और 2026 तक 550 मिलियन ईफ्यूल का उत्पादन करना है।
इस परियोजना का लक्ष्य 2022 तक 1,30,000 लीटर और 2026 तक 550 मिलियन ईफ्यूल का उत्पादन करना है।
ईफ्यूल क्या है?
- ईफ्यूल एक तरह का इलेक्ट्रो फ्यूल है जो एक जटिल हाइड्रोकार्बन से निर्मित होता है।
- इसमें पवन निर्मित बिजली का प्रयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में पृथक किया जाता है। इसके बाद हाइड्रोजन को कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलाते हैं और यह मिश्रण हवा से छनकर मेथनॉल का निर्माण करता है।
- मेथनॉल तब एक्सॉनमोबिल लाइसेंस प्राप्त तकनीक का उपयोग करके गैसोलीन में परिवर्तित हो जाता है। ईफ्यूल के निर्मित होने पर इसे किसी भी कार में उपयोग किया जा सकेगा।
- विदित हो कि गैसोलीन एक पेट्रोलियम से प्राप्त तरल-मिश्रण है। इसे अन्तर्दहन इंजन में ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
- ईफ्यूल उत्पादन की तकनीकी बहुत महगी है इसके उत्पादन की लागत प्रति लीटर 10 डॉलर है।भविष्य मेंइस लागत के 2 डालर प्रति लीटर तक आने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रो ईंधन (Electro Fuels)
इलेक्ट्रो ईंधन कार्बन तटस्थ ईंधन का एक नया वर्ग है जिसे सिंथेटिक ईंधन भी कहा जाता है। इस ईधन को जैव ईंधन के विकल्प के तौर में देखा जा रहा है। ये अक्षय स्रोतों से विद्युत ऊर्जा का भंडारण करके बनाए जाते हैं।
अन्य इलेक्ट्रो ईंधन
ऑडी (Audi) ई-गैसोलीन सिंथेटिक ईंधन के निर्माण पर कार्य कर रही है।यह एक तरल आइसो ऑक्टेन ईंधन है जो कार्बन-तटस्थ है। इसके अलावा, ई-गैसोलीन सल्फर और बेंजीन से मुक्त है।
जैव ईंधन
- जैव-ईंधन बायोमास से उत्पादित दहनशील ईंधन होते हैं जिनमें मुख्यत: इथेनॉल और बायोडीज़ल आते हैं। इथेनॉल एक एल्कोहल है एवं बायोडीज़ल तेल की तरह होता है।
- यह जीवाश्म ईंधन, जैसे कि कोयले और पेट्रोलियम के गठन में शामिल भूगर्भीय प्रक्रियाओं द्वारा उत्पादित ईंधन से भिन्न होता है।
- जैव ईंधन सीधे पौधों (यानी ऊर्जा फसलों), या परोक्ष रूप से कृषि, वाणिज्यिक, घरेलू, और औद्योगिक अपशिष्ट से प्राप्त किया जा सकता है।
स्रोत – द हिन्दू