उच्च अक्षांशीय देशों में सूर्य से उत्पन्न ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा) की परिघटना
सूर्य पर उत्पन्न सौर ज्वाला (सोलरफ्लेयर) ने एक चुंबकीय तूफान को जन्म दिया इससे उच्च अक्षांश और ध्रुवीय क्षेत्रों में ध्रुवीय परिघटनादेखि गईहै। सौर ज्वाला अत्यधिक ऊर्जावान घटनाएं हैं जो सौर कलंक (सनस्पॉट्स) के अंदर घटित होती हैं।
सौर कलंक वे क्षेत्र हैं जो सूर्य की सतह पर काले धब्बों के जैसे दिखाई देते हैं। ये सूर्य के मैग्नेटिक फ्लक्स के प्रभाव के चलते सूर्य की सतह के अन्य भागों की तुलना में ठंडे होते है।
- सौर ज्वाला में, सूर्य की चुंबकीय संरचनाओं में भंडारित ऊर्जा को प्रकाश और ऊष्मीय ऊर्जामें रूपांतरित किया जाता है। यह उच्च ऊर्जा वाले एक्स-रे विकिरण के उत्सर्जन और अत्यधिक त्वरित आवेशित कणों को सूर्य की सतह से निष्कासित करने का कारण बनती है।
- कभी-कभी सौर ज्वालाएं भी सूर्य से गर्म प्लाज्मा को बाहर निकालने का कारण बनती हैं, जिससे सौर तूफान आते हैं। इस प्रक्रिया को कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहा जाता है।
सौर ज्वालाओं द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा और विकिरण एवं उच्च ऊर्जा कण निम्नलिखित को प्रभावित कर सकते हैं:
- ये उपग्रहों के भीतर इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अंतरिक्ष यात्रियों आदि को प्रभावित कर सकते हैं।
- ये विद्युत ग्रिड की विफलता और तेल पाइप लाइनों तथा गहरे समुद्र में बिछी केबलों को प्रभावित करने का कारण बन सकते हैं।
ध्रुवीय ज्योति की परिघटना
ध्रुवीय ज्योति की परिघटना, सौर पवनों के ऊर्जावान कणों (इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉन) के ऊपरी वायुमंडल के परमाणुओं के साथ परस्पर अंतर क्रिया के कारण घटित होती है। यह परिघटना मुख्य रूप से दोनों गोलाद्धों के उच्च अक्षांशों में देखने को मिलती है। उत्तरी अक्षांश की ध्रुवीय ज्योति को सुमेरु ज्योति (Aurora Borealis) या उत्तरध्रुवीय ज्योति के नाम से जाना जाता है। दक्षिणी अक्षांश की ध्रुवीय ज्योति को कुमेरु ज्योति (Aurora Australis) या दक्षिण ध्रुवीय ज्योति के नाम से जाना जाता है।
स्रोत – द हिन्दू