चावल/धान के रकबे में आयी कमी
हाल ही में, भारत में धान की फसल के अंतर्गत क्षेत्रफल (रकबे) में कमी देखी गई है, जबकि कुल फसल कवरेज में वृद्धि हुई है।
- खरीफ फसलों के तहत कुल बोए गए क्षेत्र में पिछले वर्ष (अवधिः जून से मध्य जुलाई) की तुलना में वृद्धि हुई है। इसके विपरीत, चावल का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में (इस वर्ष 15 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार) 4 फीसदी कम हो गया है।
- इसका कारण उत्तर भारत के चावल उगाने वाले क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा की कमी है। ये क्षेत्र हैं: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल ।
चिंता का कारणः भारत विश्व में चावल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। विश्व में चावल निर्यात में भारत की 40% से अधिक हिस्सेदारी है। ऐसे में उत्पादन में किसी भी कमी की दशा में चावल के आयात के विकल्प सीमित हैं।
भारत में चावल की खेती:
- यह खरीफ की फसल है। इसकी खेती के लिए उच्च तापमान (25°C से अधिक) तथा उच्च आर्द्रता और वर्षा (100 cm से अधिक) की आवश्यकता होती है।
- जलोढ़ चिकनी मिट्टी की जलधारण क्षमता अच्छी होती है। इसलिए, धान की सबसे अच्छी पैदावार इसी मिट्टी में होती है।
चावल की खेती के तरीके:
- प्रतिरोपण (Iransplantation): बीजों को पहले नर्सरी में बोया जाता है। 3-4 पत्ते दिखाई देने पर पौधे को मुख्य खेत में रोपा जाता है।
- ड्रिलिंग विधिः एक व्यक्ति हल से जुताई करता है,दूसरा व्यक्ति बीज बोता है।
- प्रत्यक्ष–बीजरोपण विधिः चावल के बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं।
- चावल गहनता प्रणालीः यह सिंचित चावल की उत्पादकता बढ़ाने की एक पद्धति है। इसमें पौधों, मिट्टी, पानी और पोषक तत्वों के प्रबंधन में बदलाव लाकर विशेष रूप से जड़ की बेहतर वृद्धि करके उपज बढ़ायी जाती है।
स्रोत –द हिन्दू