धान की फसल में ब्लास्ट रोग लगने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इन दिनों बरसात का दौर थमने के साथ ही तापमान नमी में बढ़ोतरी हो रही है। किसानों को अधिक नाइट्रोजन का उपयोग न करने की सलाह दी गई है।
धान की फसल का ब्लास्ट रोग क्या है?
- धान की फसल का ब्लास्ट रोग “मैग्नापोर्थ ओरिजा”नामक फंगस के कारण होता है। यह धान के पौधे के जमीन से ऊपर के सभी हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।
- यह रोग आमतौर पर उन क्षेत्रों में धान की फसल को प्रभावित करता है, जहां मिट्टी में नमी कम होती है, लगातार और लंबे समय तक बौछारदार बारिश होती है और दिन में तापमान कम रहता है।
- दिन-रात के तापमान के अधिक अंतर के कारण पत्तियों पर ओस की बूंदे जम जाती हैं और इसप्रकार अपेक्षाकृत ठंडा तापमान इस रोग के विकास का कारण बनता है।
- ब्लास्ट रोग धान की फसल के लिए सबसे विनाशकारी रोगों में से एक है। ब्लास्ट संक्रमण, रोपण या टिलरिंग स्टेज (जब पौधा शाखाये बनाता है) में ही पौधे को कमजोर कर देता है। इससे पौधे के विकास के बाद के चरणों में पौधे का अनाज भराव क्षेत्र हो जाता है और उपज बहुत कम हो जाती है।
ब्लास्ट रोग का नियंत्रण
किसान कोरसायनिक खाद का संतुलित प्रयोग करना चाहिए। पत्ती की अवस्था पर लक्षण दिखाई देते ही ब्लास्ट झोंका के लिए एजासीस्ट्रोविन 25 एससी 500 मिली अथवा आइसोप्रोयोलेन 40 ईसी 750 मिली प्रति हैक्टेयर डालना आवश्यक है। जीवाणु झुलसा रोग लगने पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 25 ग्राम प्लस कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 500 ग्राम या कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम घोलकर प्रति हैक्टेयर में छिड़काव करें। इससे धान में लगने वाले ब्लॉस्ट रोग का सफाया हो जाएगा।
स्रोत –द हिन्दू