मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने जारी की ‘द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022′ रिपोर्ट
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने ‘द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022’ रिपोर्ट जारी की है।
- यह वार्षिक रिपोर्ट तापमान, महासागरीय ऊष्मा, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, चरम मौसम जैसे जलवायु संकेतकों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
- यह रिपोर्ट IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट के लिए पूरक का काम करती है।
- WMO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। 193 देश और क्षेत्राधिकार (Territories) इसके सदस्य हैं। भारत भी इसका सदस्य है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- 2022 में वैश्विक औसत तापमान 1850 – 1900 के औसत तापमान से 15 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- पिछले तीन वर्षों के दौरान ला नीना परिघटना से उत्पन्न शीतलन प्रभाव के बावजूद 2015 से 2022 के बीच के आठ वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर गर्म रहे हैं।
- तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों- कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता 2021 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
- समग्र रूप से, महासागरीय सतह के 58% भाग पर 2022 के दौरान कम-से-कम एक समुद्री हीटवेव की घटना को दर्ज किया गया ।
- समुद्री जल स्तर में वैश्विक औसत वृद्धि की दर 1993 – 2002 (2.27 मि.मी / वर्ष) और 2013-2022 (4.62 मि.मी / वर्ष) के बीच दोगुनी हो गई ।
सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव:
- 2022 के मानसून – पूर्व सीजन में हीटवेव के कारण भारत और पाकिस्तान में फसल की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई ।
- तिब्बत के पठार के आसपास हाल के आकलन में पाया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण यहां शीतोष्ण क्षेत्र (Temperate zone) का विस्तार हो रहा है।
- गौरतलब है कि तिब्बत के पठार में आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र के बाहर हिम और बर्फ का सबसे बड़ा भंडार है ।
- पूर्वी अफ्रीका में, पिछले पांच आर्द्र मौसमों में औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है, जो 40 वर्षों में सबसे लंबी अवधि है ।
स्रोत – डबल्यू एम् ओ