संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (UNAIDS) द्वारा ‘द पाथ दैट एंड्स एड्स‘ रिपोर्ट जारी
हाल ही में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (UNAIDS) द्वारा ‘द पाथ दैट एंड्स एड्स’ नामक शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई है।
ज्ञातव्य हो कि ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण AIDS/एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) नामक एक दीर्घकालिक व जीवन के लिए घातक बीमारी उत्पन्न होती है।
HIV वायरस रोगों और संक्रमण से लड़ने वाली महत्वपूर्ण कोशिकाओं को नष्ट करके किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।
रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य
रिपोर्ट के अनुसार HIV से पीड़ित लगभग 9.2 मिलियन लोगों को इसका कोई उपचार प्राप्त नहीं हो रहा है। इसके साथ ही वर्ष 2022 में एड्स से प्रत्येक एक मिनट में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
1980 के दशक के बाद से 2022 में वैश्विक स्तर पर बच्चों में नए संक्रमणों की सबसे कम संख्या दर्ज की गई थी ।
भारत के 2022 एचआईवी आँकड़ों के मुताबिक़, देश में अनुमानित 24 लाख 70 हज़ार लोग एचआईवी से पीड़ित, जिनमें वयस्कों के बीच एचआईवी का प्रसार 0.2% है
वर्ष 2022 में नए एचआईवी संक्रमण मामलों की संख्या अनुमानित 66 हज़ार थी, हालाँकि 2010 के बाद से नए संक्रमणों की दर में 42% से थोड़ी अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जो वैश्विक औसत 38% से थोड़ी ज़्यादा है. 2010 के बाद से एड्स के कारण कुल मृत्यु दर में लगभग 77% की गिरावट आई है.
HIV के समाधान में प्रमुख चुनौतियां
महिलाओं और किशोरियों में अपने लैंगिक संबंधों, गर्भनिरोधक के उपयोग और स्वास्थ्य देखभाल के बारे में निर्णय लेने की पर्याप्त क्षमता का अभाव है।
उप-सहारा, कैरेबियन, पूर्वी यूरोप आदि क्षेत्रों में रोकथाम व उपचार सेवाओं का अभाव है।
HIV से पीड़ित गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माताओं का एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी संबंधी कवरेज केवल 80 प्रतिशत के आसपास है ।
इस कारण से HIV – रोधी उपायों में माताओं और बच्चों को पूरा उपचार नहीं मिल रहा है ।
HIV प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक कदम
दिशा-निर्देशों और नवीनतम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के आधार पर नया दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए ।
HIV से संबंधित सेवाओं और संसाधनों के लिए सामाजिक व संरचनात्मक असमानताओं को दूर किया जाना चाहिए ।
लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सुलभ HIV रोकथाम और उपचार सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए ।
लोचशील, एकीकृत और सुलभ सार्वजनिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य प्रणालियों का पूर्ण रूप से वित्त पोषण किया जाना चाहिए ।
HIV के सामान्यत 2 प्रकार होते हैं:
विश्व भर में अधिकांश संक्रमण का प्रतिनिधित्व HIV-1 के द्वारा होता है, जबकि HIV-2 के रोगियों की संख्या मुख्यतः पश्चिम एवं मध्य अफ्रीकी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।
इन दोनों ही प्रकार के HIVs से AIDS हो सकता है, परंतु HIV-1 की तुलना में HIV-2 का प्रसार काफी कठिन है।
एचआईवी / एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (UNAIDS)
इसकी शुरुआत 1996 में हुई थी तब से यह HIV संक्रमणों को रोकने की दिशा में कार्य कर रहा है। UNAIDS यह भी निश्चित करता है कि HIV से संक्रमित सभी लोगों की HIV उपचार तक पहुँच प्राप्त हो।
इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है । UNAIDS सतत विकास लक्ष्यों के हिस्से के रूप में 2030 तक लोक स्वास्थ्य खतरे के रूप में एड्स को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास का नेतृत्व कर रहा है।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP)
वर्ष 1986 में भारत में HIV संक्रमण का पहला मामला सामने आया था इसके कुछ समय बाद ही भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) की स्थापना की थी, जो अब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एड्स विभाग बन गया है।
सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3.3
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र (UN) देशों द्वारा अपनाए गए सतत् विकास लक्ष्यों में भी वर्ष 2030 तक एड्स, तपेदिक और मलेरिया महामारियों को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू