भारत में जम्मू-कश्मीर के अतरिक्त देश में लिथियम अन्वेषण का दायरा बढाया जायेगा
हाल ही में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल – हैमाना क्षेत्र में लिथियम के भंडार होने का अनुमान लगाया था । GSI ने यहां 5.9 मिलियन टन लिथियम होने का अनुमान लगाया है।
- अब जम्मू और कश्मीर में मूल स्थल से बाहर भी लिथियम पाए जाने की संभावना के कारण अन्वेषण का दायरा बढ़ाने की बात कही गई है
- ‘अनुमानित’ (Inferred) खनिज संसाधन का आशय ऐसे संसाधन से है, जिसकी मात्रा, गुणवत्ता (ग्रेड) और खनिज सामग्री का अनुमान केवल अल्प विश्वास पर आधारित होता है।
- रिपोर्ट्स से पता चला है कि लिथियम संसाधन मूल स्थान से काफी आगे तक फैले हुए हैं। इस कारण भूवैज्ञानिक अन्वेषण का दायरा बढ़ाया जा रहा है।
- वर्तमान में भारत लिथियम की अपनी समग्र आवश्यकता की पूर्ति के लिए आयात पर निर्भर है।
भारत में अन्य संभावित स्थल –
- कर्नाटक के मांड्या जिले के मारलागल्ला-अल्लापटना क्षेत्र की आग्नेय चट्टानें ।
- राजस्थान में सांभर और पचपदरा के खारे जल क्षेत्र (Brines) तथा गुजरात में कच्छ का रण ।
लिथियम आमतौर पर दो अलग-अलग प्रकार के निक्षेपों में पाया जाता है:
- ब्राइन ऑपरेशंस: इसके तहत सतह के नीचे मौजूद लिथियम की उच्च मात्रा वाले खारे लवण युक्त जल को पंप के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। इसके बाद इसे वाष्पीकरण की प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिससे अनावश्यक जल वाष्प बन जाता है । तत्पश्चात लिथियम की उच्च मात्रा वाले इस गाढ़े घोल को प्रसंस्करण संयंत्रों में भेजा जाता है। यहां इससे लिथियम हाइड्रॉक्साइड का उत्पादन किया जाता है।
- हार्ड-रॉक ऑपरेशंस: इसके तहत क्रशिंग और पृथक्करण जैसी पारंपरिक खनन तकनीकों का उपयोग करके अयस्क की उच्च उपस्थिति वाले खनिज चूर्ण को प्राप्त किया जाता है। इसके बाद इसे आगे संयंत्रों में भेज दिया जाता है, जहां इससे लिथियम हाइड्रॉक्साइड का उत्पादन किया जाता है ।
लिथियम के गुण –
- यह भू-पर्पटी में पाई जाने वाली मुलायम, चमकदार स्लेटी रंग की धातु है ।
- सभी धातुओं की तुलना में इसका घनत्व सबसे कम होता है ।
- यह जल के साथ तीव्र अभिक्रिया करता है।
- यह प्रकृति में स्वतंत्र रूप से धातु के रूप में नहीं प्राप्त होता है ।
- स्पोड्यूमिन, पेटालाइट, लेपिडोइट और एंब्लीगोनाइट ऐसे महत्वपूर्ण खनिज हैं जिनमें लिथियम प्राप्त होते हैं।
प्राथमिक उपयोग : ऊर्जा भंडारित करने की क्षमता के कारण, इसका उपयोग मुख्य रूप से रिचार्जेबल बैटरी के निर्माण के लिए किया जाता है । यह बैटरी मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सहित आधुनिक उपकरणों को ऊर्जा प्रदान करती है।
अन्य उपयोग :
- लिथियम ऑक्साइड: इसका उपयोग विशिष्ट ग्लासेस और ग्लास सिरेमिक हेतु किया जाता है।
- लिथियम क्लोराइड : यह अब तक ज्ञात सबसे अधिक हाइड्रोस्कोपिक (आर्द्रताग्राही) पदार्थों में से एक है। इसका उपयोग एयर कंडीशनिंग और औद्योगिक शुष्कन प्रणालियों में किया जाता है।
- लिथियम कार्बोनेट: इसका उपयोग मनोरोग एवं अवसाद से संबंधित इलाज के लिए किया जाता है ।
- लिथियम स्टीयरेट: इसका उपयोग उच्च तापमान वाले लुब्रिकेंट के रूप में किया जाता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस