अधिकतर एशिया-प्रशांत देश प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार नहीं : रिपोर्ट
हाल ही में जारी एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP) की रिपोर्ट के अनुसार “अधिकतर एशिया-प्रशांत देश प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं”।
ESCAP ने ‘द रेस टू नेट ज़ीरोः एक्सेलेरेटिंग क्लाइमेट एक्शन इन एशिया एंड द पैसिफिक’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है ।
यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रीय संदर्भ की रूपरेखा प्रदान करती है। साथ ही, वैश्विक जलवायु एजेंडे का समर्थन करने के लिए की जा सकने वाली कार्यवाहियों की पहचान करती है ।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष –
- पिछले 60 वर्षों में, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में तापवृद्धि वैश्विक औसत से अधिक हो गई है।
- संपूर्ण एशिया और प्रशांत क्षेत्र में प्राकृतिक एवं जैविक खतरों के कारण होने वाली औसत वार्षिक आर्थिक हानि 780 बिलियन डॉलर अनुमानित है ।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 1990 और 2020 के बीच दोगुने से अधिक हो गया है ।
प्रमुख सिफारिशें
- तीन प्रमुख क्षेत्रकों में उत्सर्जन अंतराल को समाप्त करने के लिए कार्यवाही करने की आवश्यकता है। (ये तीन प्रमुख क्षेत्रक हैं: ऊर्जा, परिवहन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश)
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों में परिवहन संबंधी जलवायु कार्रवाई नीतियों को एकीकृत किया जाना चाहिए ।
- उद्योगों को निम्न-कार्बन उत्सर्जन वाला बनाना चाहिए । इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाये जा सकते हैं:
- जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करके,
- कार्बन मूल्य निर्धारण – तंत्र की स्थापना करके तथा
- जलवायु शमन एवं अनुकूलन में निवेश के माध्यम से ।
एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP)
- उत्पत्ति: आयोग की स्थापना आर्थिक और सामाजिक परिषद ने 1947 में शंघाई में एशिया और सुदूर पूर्व के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग (ESCAFE ) के रूप में की थी । वर्ष 1974 में इसे ESCAP के रूप में नामित किया गया था ।
- कार्य: यह क्षेत्र में समावेशी और सतत विकास का समर्थन करता है । इसका मुख्यालय थाईलैंड बेकाक में स्थित है।
निम्नलिखित गतिविधियाँ करता है:
- कार्रवाई- उन्मुख ज्ञान उत्पन्न करता है, तथा राष्ट्रीय विकास उद्देश्यों व क्षेत्रीय समझौतों के समर्थन में तकनीकी सहायता और क्षमता – निर्माण सेवाएं प्रदान करता है ।
- सदस्यता: 53 सदस्य देश और 9 सहयोगी सदस्य । भारत इसका सदस्य है ।
- अन्य महत्वपूर्ण जानकारीः संयुक्त राष्ट्र के पांच क्षेत्रीय आयोगों में से एक है ।
स्रोत – डाउन टू अर्थ