देश में इंटरनेट शटडाउन रिपोर्ट
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार विरोध प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के लिए पिछले 3 वर्षों में सबसे अधिक बार इंटरनेट शटडाउन किए गए हैं।
यह रिपोर्ट इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने जारी की है।
इंटरनेट शटडाउन के अंतर्गत इंटरनेट तक पहुंच को पूरी तरह से निषिद्ध करना, इंटरनेट-स्पीड को धीमा करना या किसी विशेष कंटेंट को प्रतिबंधित करना शामिल है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- भारत में वर्ष 2020 से 2022 तक 18 राज्यों ने कम-से-कम एक बार इंटरनेट शटडाउन किया था। इसी अवधि में सबसे अधिक बार इंटरनेट शटडाउन राजस्थान में किए गए थे।
- इस रिपोर्ट में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में लागू इंटरनेट शटडाउन को शामिल नहीं किया गया है।
स्थानीय प्रशासन ने निम्नलिखित उद्देश्यों से इंटरनेट शटडाउन का इस्तेमाल किया है–
- सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने के लिए (18 मामले),
- स्कूली परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए ( 37 मामले),
- विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए (53 मामले ) आदि ।
इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव:
- आर्थिक प्रभाव: वर्तमान में व्यवसाय और व्यापार डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करते हैं, इस कारण सभी आर्थिक क्षेत्रकों पर इंटरनेट शटडाउन का गंभीर प्रभाव पड़ता है।
- इसका मौलिक अधिकारों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसमें शामिल हैं- बोलने का अधिकार, व्यवसाय के संचालन का अधिकार, असहमति व्यक्त करने का अधिकार और राज्य में लोगों की निर्बाध आवाजाही का अधिकार आदि ।
- इससे शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य लोक सेवाओं जैसी मूलभूत सेवाएं बाधित होती हैं।
- निजता के समक्ष जोखिम: यह उपयोगकर्ताओं की निजता और सुरक्षा को जोखिम में डालता है।
इंटरनेट शटडाउन के लिए कानूनी प्रावधान:
- वर्ष 2017 में दूरसंचार सेवा अस्थायी निलंबन (लोक आपात और लोक सुरक्षा) नियमों को अधिसूचित किया गया था।
- 2017 से इन्हीं नियमों के अंतर्गत टेलीकॉम सेवाओं का निलंबन (इंटरनेट शटडाउन सहित) किया जाता है। इन नियमों को भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत अधिसूचित किया गया था ।
- 2017 के नियम लोक आपात स्थिति के आधार पर किसी क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने का प्रावधान करते हैं। इनके तहत प्रतिबंधों को एक बार में अधिकतम 15 दिनों तक लागू किया जा सकता है।
- केवल संघ या राज्य के गृह सचिव ही इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी कर सकते हैं । अपरिहार्य परिस्थितियों में केंद्र या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के स्तर का अधिकारी भी इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी कर सकता है।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स