देविका नदी परियोजना

देविका नदी परियोजना

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री द्वारा जम्मू-कश्मीर केउधमपुरमें देविका नदी परियोजना के विकास हेतुसुझाव लिए जायेंगे।इस परियोजना की तुलना स्थानीय लोग‘नमामि गंगे परियोजना’ (Namami Gange Project) से कर रहे हैं।

मुख्य बिन्दु:

  • राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan:NRCP) के अंतर्गत मार्च 2019 मेंदेविका नदी परियोजना का कार्य शुरू किया गया था। इस परियोजना में190करोड़ रुपये लगाये जायेंगे।
  • इस योजना में देविका नदी के किनारे स्नान घाट (स्थल) का विकास किया जाएगा।नदी पर से अतिक्रमण हटाया जाएगा, प्राकृतिक जल निकायों को पुन: स्थापित किया जाएगा, और श्मशान भूमि के साथ-साथ जलग्रहण क्षेत्र भी विकसित किये जाएंगे।
  • इस परियोजना के तहत तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 129.27 किमी का सीवरेज़ नालियाँ, दो श्मशान घाटों का विकास, सुरक्षा के लिए तार फेन्सिंग और लैंडस्केपिंग, कम क्षमता वाले जल विद्युत संयंत्र तथा तीन सौर ऊर्जा संयंत्र सम्मिलित किये गए हैं।
  • इसपरियोजना के पूरा होने पर, इस नदी व इससे संबंधित बहुत सी नदियों के प्रदूषण में कमी आएगी और जल की गुणवत्ता में विकास होगा।

देविका नदी

  • यह जम्मू और कश्मीर के उधमपुर ज़िले में ‘पहाड़ी सुध’ (शुद्ध) महादेव मंदिर से निकलती है और पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान में) में बहते हुए रावी नदी सेमिल जाती है।
  • एक धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नदी को हिंदुओं द्वारा गंगा नदी की बहन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • विदित हो कि उधमपुर में देविका पुल जून 2020 में निर्मित किया गया था। इस पुल के माध्यम सेयातायात की भीड़ से निपटने के साथ ही भारतीयसेना के काफिले और वाहनों को सुगम मार्ग प्राप्त हुआ है ।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना(National River Conservation Plan)

  • वर्ष 1995 में शुरू की गई ‘राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan)केंद्रद्वारा वित्तपोषित योजनाहै।इसका उद्देश्य नदियों में प्रदूषण को कम करनाहै।
  • नदियों के संरक्षण से जुड़े सभी कार्यक्रम‘राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना’ और ‘राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण’(National Ganga River Basin Authority- NGRBA) के माध्यम से लागू किये जा रहे हैं।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP)के तहत अंतर्निहित गतिविधियाँ:

  • खुले नालों से नदी में गिरने वाले कच्चे मल-जल को रोकने उसकी दिशा में परिवर्तनआदिकार्य।
  • वाहित मल-जल का शोधन करने के लिये मल-जल शोधन संयंत्र/सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना।
  • नदी के किनारे खुले में मलत्याग की रोकथाम के लिये कम लागत वाले शौचालय का निर्माण करना।
  • लकड़ी के प्रयोग को संरक्षित करने के लिये विद्युत शवदाह गृह एवं उन्नत काष्ठ शवदाह गृहों का निर्माण करना तथा जलाऊ घाटों पर लाए गए शवों का उचित दाह-संस्कार सुनिश्चित करना।
  • स्नान घाटों का सुधार जैसे नदी तटाग्र विकास कार्य एवं जन जागरूकता तथा जन सहभागिता।
  • नदी संरक्षण के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास (HRD), क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान।

स्रोत: पीआईबी

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