देविका नदी कायाकल्प परियोजना
हाल ही में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘उत्तर भारत की पहली नदी कायाकल्प परियोजना ‘देविका’ (North India’s first River Rejuvenation Project Devika)’ अगस्त 2023 तक पूर्ण होने वाली है।
‘नमामि गंगे’ की तर्ज पर 190 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित इस परियोजना का शुभारंभ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस पहल का उद्देश्य पवित्र देविका नदी की स्वच्छता और स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
इस परियोजना को 190 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश प्राप्त हुआ, जिसमें केंद्र एवं केंद्रशासित प्रदेश के बीच 90:10 के अनुपात में आवंटन साझा किया गया है।
परियोजना का मुख्य उद्देश्य:
- इसका प्राथमिक उद्देश्य तरल अपशिष्ट का कुशल निपटान सुनिश्चित करना, प्रदूषण को रोकना और नदी की पवित्रता को बनाए रखना है।
- साथ ही तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान आकर्षण करना एवं घरों को जोड़ने वाले पाइप्स और मैनहोल्स का एक नेटवर्क स्थापित करना।
- इस परियोजना में तरल अपशिष्ट के अतिरिक्त ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का महत्त्वपूर्ण पहलू भी शामिल है। इसमें स्थानीय समुदायों द्वारा उत्पन्न ठोस अपशिष्ट पदार्थों का संग्रह, निपटान और प्रबंधन शामिल है।
- पर्यावरणीय क्षरण को रोकने और नदी एवं इसके आसपास के समग्र पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये ठोस अपशिष्ट का उचित प्रबंधन आवश्यक है।
पृष्ठभूमि:
- देविका नदी को पुनर्जीवित करने का काम मार्च 2019 में शुरू हुआ और इसे दो साल में पूरा किया जाना था, लेकिन COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण समय सीमा बढ़ा दी गई।
- इस परियोजना को भारत सरकार की राष्ट्रीय नदी संरक्षण परियोजना (NRCP) में शामिल किया गया है।
- कायाकल्प परियोजना के हिस्से के रूप में, शहरी पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग (यूईईडी) द्वारा पाइप और मैनहोल का एक नेटवर्क बनाकर तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्य किया जा रहा है।
देविका नदी:
- पवित्र गंगा नदी की बहन मानी जाने वाली देविका नदी जम्मू और कश्मीर के उधमपुर जिले में सुधमहादेव मंदिर के पास की पहाड़ी से निकलती है और पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान में) की ओर बहती हुई रावी नदी में मिल जाती है।
- यह नदी धार्मिक महत्त्व रखती है क्योंकि हिंदू इसे गंगा नदी की बहन के रूप में पूजते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि देविका नदी, रावी एवं चिनाब नदी के बीच के क्षेत्रों को कवर करने वाले मादेर देश के लोगों को लाभ पहुँचाने के लिये स्वयं देवी पार्वती का एक रूप है।
स्रोत – पी.आई.बी.