दूरसंचार सेवाओं/इंटरनेट का निलंबन और उसका प्रभाव रिपोर्ट
हाल ही में संसदीय समिति की रिपोर्ट “दूरसंचार सेवाओं/इंटरनेट का निलंबन और उसका प्रभाव” (Suspension of telecom services/internet and its impact) को संसद में प्रस्तुत किया गया है।
इंटरनेट शटडाउन और इससे संबंधित प्रावधानः
- इंटरनेट शटडाउन, आमतौर पर सरकार के आदेश पर एक सीमित क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को एक निश्चित समय के लिए जानबूझकर निलंबित करने को संदर्भित करता है।
- इससे पहले, कई जिलाधिकारियों द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की धारा 144 में उल्लिखित शक्तियों को लागू करके इंटरनेट शटडाउन किया जाता था।
- हालांकि, दूरसंचार अस्थायी सेवा निलंबन (लोक आपात और लोक सुरक्षा) नियम, 2017 भी लागू किये गए थे। इन नियमों के बावजूद अभी भी धारा 144 का उपयोग किया जाता है।
इंटरनेट शटडाउन का प्रभावः
- दूरसंचार ऑपरेटरों को प्रत्येक सर्किल क्षेत्र में प्रति घंटे 45करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
- भारत को वर्ष 2020 में इंटरनेट बंद होने से 8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त, यह लोगों के जीवन और स्वतंत्रता को भी प्रभावित करता है।
इंटरनेट शटडाउन पर समिति की प्रमुख सिफारिशें
- दूरसंचार/इंटरनेट शटडाउन के औचित्य पर निर्णय लेने के लिए एक उचित तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
- संपूर्ण रूप से इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने की बजायओवर द टॉप (OTT) सेवाओं जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर चयनित रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- देश में सभी इंटरनेट शटडाउन आदेशों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस रखा जाना चाहिए।
- सुदृढ़ निगरानी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि राज्य/संघ राज्यक्षेत्रों को अपने क्षेत्र में इंटरनेट बंद करने के लिए CrPC की धारा 144 का उपयोग नहीं करना पड़े।
स्रोत – द हिंदू